भोपाल : सोमवार, अक्टूबर 30, 2017
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अद्वैत दर्शन का व्यवहारिक स्वरूप आमजन तक पहुँचाने का कार्य एकात्म यात्रा करेगी। इस पवित्र अभियान का नेतृत्व संत मंडल करेगा। उनके साथ समाज रहेगा। सरकार सहयोगी की भूमिका में रहेगी। श्री चौहान आज नर्मदा भवन में एकात्म यात्रा राज्य आयोजन समिति की प्रथम बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में बताया गया कि यात्रा चार स्थानों ओंकारेश्वर, उज्जैन, अमरकंटक और रीवा के पचमठा से 19 दिसम्बर को प्रारंभ होगी। कुल 35 दिवस की अवधि में प्रदेश के लगभग सभी जिलों से होकर यात्रा गुजरेगी। ओकारेंश्वर में 22 जनवरी 2018 को यह यात्रा पूर्णता को प्राप्त करेगी। इसी दिन आदिशंकराचार्य की 108 फीट ऊँची प्रतिमा के निर्माण कार्य का शिलान्यास होगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि समाज को दिशा देने के प्रयासों में भी सहयोग करे, केवल भौतिक संरचनाओं के निर्माण तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने कहा कि सब में एक ही चेतना का वास है, अद्वैत दर्शन का यही सार है। यह भाव यदि दृढ़, मूल हो जाये तो संसार की सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि धातु संग्रहण आमजन को अद्वैत दर्शन से जोड़ने का प्रयास है। इस माध्यम से आदि शंकराचार्य के जीवन, व्यक्तित्व, कृतित्व और दर्शन का ज्ञान गाँव-गाँव, घर-घर पहुँचेगा। धातु संग्रहण प्रतीकात्मक रूप से ही किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि यात्रा हर गाँव से छोटे से एक धातु कलश में गाँव की मिट्टी भी प्राप्त करे। कलश के धातु एवं मिट्टी का प्रतिमा निर्माण में उपयोग किया जाए। इससे जन-जन की भावनाएँ प्रतिमा निर्माण से जुड़ेंगी। उन्होंने बताया कि प्रतिमा स्थल का स्वरूप ऐसा होगा कि अवलोकन करने वाला व्यक्ति आदिगुरू शंकराचार्य और उनके दर्शन तथा जीवन से भलीभांति परिचित हो जाए। उन्होंने संत समाज के आशीर्वाद के प्रति आभार ज्ञापित किया।
प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने यात्रा की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। यात्रा के संचालन, यात्रा अवधि की गतिविधियाँ, आयोजन संबंधी व्यवस्थाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आदि गुरू पर चित्र, निबंध और संभाषण आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन प्रदेश के महाविद्यालयों और विद्यालयों में होगा, विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। बैठक में यात्रा के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ। यह तय किया गया कि प्राप्त सुझावों के व्यवहारिक स्वरूप में क्रियान्वयन का निर्णय मार्गदर्शक मंडल द्वारा लिया जाएगा।
प्रारंभ में संतगण द्वारा आदिशंकराचार्य के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया गया। बैठक में मध्यप्रदेश माध्यम द्वारा निर्मित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया, जिसमें आदिशंकाराचार्य जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी दी गई। अभियान गीत की भी प्रस्तुति हुई।
इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्य संत, मंत्रि-परिषद के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।