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ममता बनर्जी का तुष्टीकरण छद्म धर्मनिरपेक्षता की इंतहाः शर्मा

06/09/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक श्री रामेश्वर शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में संविधान ने सभी को अपने पंथ और आस्था के अनुसार आचार विचार करने की आजादी दी है। फिर दशहरा और मुहर्रम मिल जुलकर मनाने की भारत की गंगा जमुनी संस्कृति की दुनिया विशेषकर इस्लामिक देशों ने भी सराहना की है, लेकिन जिस तरह पं. बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजन, दशहरा और मुहर्रम को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है उसने तो अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति को भी पीछे छोड़ दिया है। सुश्री ममता बनर्जी का यह विवाद निंदनीय और समाज को फिरका परस्ती की ओर धकेलेगी। संवैधानिक पद पर बैठकर सुश्री ममता बनर्जी ने संविधान की भावना का अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह सुश्री ममता बनर्जी ने दशहरा जुलूस और शस्त्र पूजन पर रोक लगायी है और दुर्गा पूजन के बाद प्रतिमाओं के विसर्जन पर शर्ते थोपी है उससे छद्म धर्म निरपेक्षता की पोल खुल गयी है। लगता है सुश्री ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी के लगातार बढ रहे जनाधार से भयभीत है कि वे तुष्टीकरण को घृणित तरीके से परवान चढ़ाने में जुटी है। इसके पीछे उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की पोल खुल गयी है। पं. बंगाल में बंगलादेशी शरणार्थी उनके लिए नागरिक कम वोट बैंक अधिक है। इन्हें प्रोत्साहन देकर सुरक्षा में सेंध के अवसरों के प्रति सुश्री ममता बनर्जी की उदासीनता अपराधोन्मुखी पहल है जिसकी निंदा की जाना चाहिए।
श्री शर्मा ने कहा कि सुश्री ममता बनर्जी ने राजनैतिक सौजन्यता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी गला घोंट दिया है। सुश्री ममता बनर्जी ने अपना साम्प्रदायिक चेहरा स्वयं बेनकाब कर दिया है। लोकतंत्र में अपने विचार रखने की सबको आजादी है, लेकिन उन्होंने तो आपातकाल जैसी स्थिति बनाकर अपना भय व्यक्त किया है। वे भूल गयी है कि वे 1975 में यही हालात कांग्रेस की थी और उसे सत्ता से बेदखल होने से कोई बचा नहीं पाया था।

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