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1942 के द्रोही वामपंथियों की शकुनि बुद्धि से संचालित है कांग्रेस- रजनीश अग्रवाल

09/08/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि देश भारत छोडो आंदोलन के 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। ये अवसर हमें आजादी के संघर्ष और संघर्ष के उन मूल्यों को स्मरण कर भारत के पुनर्निर्माण में गतिमान होने का है। कांग्रेस इस अमूल्य विरासत को सहेज और संवार कर नई पीढ़ी से साँझा करने की बजाय भारत छोडो आंदोलन के द्रोही वामपंथियों की शकुनि बुद्धि से संचालित हो रही है। काँग्रेस नेहरू वंश के अलावा तमाम महापुरुषों और क्रांतिकारियों के साथ अपमानजनक भेदभावपूर्ण व्यवहार किया। आजादी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की है।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में लाखों अनाम ऐसे लोग थे जो न अपना नाम इतिहास के पन्नो पर न पत्थरों पर उकेरना चाहते थे। 1925 में जन्मे संघ के स्वयंसेवक कल भी इस भावना के साथ थे आज भी हैं। ब्रिटिश सरकार के गुप्तचर विभाग ने 1943 के अन्त में संघ के विषय में जो रपट प्रस्तुत की, वह राष्ट्रीय अभिलेखागार की फाइलों में सुरक्षित है, जिसमें सिद्ध किया है कि संघ योजना पूर्वक स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर बढ़ रहा है। दरअसल आजादी के बाद बौद्धिक दिवालिया कांग्रेस को वामपंथियों ने गोद ले लिया और न केवल इतिहास से छेड़छाड़ की बल्कि देशज विचार व् सांस्कृतिक विरासत को भुलाया गया। महापुरुषों के साथ भेदभाव किया गया। इन वामपंथियों के मार्ग पर कांग्रेसी गौरव करने लगे।
श्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि वामपंथियों ने सुभाषचंद्र बोस के लिए ”तोजो का कुत्ता” जैसे शब्द इस्तेमाल किए थे. क्योंकि सुभाष जी ने आजाद हिन्द फौज के लिए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री तोजो की सहायता ली थी। भगत सिंह को आतंकवादी, शिवाजी को पहाड़ी चूहा आजादी के बाद भी वामपंथी लेखकों को कांग्रेस सरकारें पढ़ाती रहीं। साथ ही साथ इतिहास इस बात का गवाह है कि कम्युनिस्टों ने 1942 के ‘भारत-छोड़ो आंदोलन के समय अंग्रेजों का साथ देते हुए देशवासियों के साथ विश्वासघात किया था. तब वामपंथी और लाल सलाम वालों को गुलाम देश अच्छा लग रहा था. गांधी जी और सुभाष जी देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे वहीं यह लोग अंग्रेजों का साथ दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने 25 अक्टूबर, 1947 में कहा- कम्युनिस्ट समझते है कि उनका सबसे बड़ा कत्र्तव्य, सबसे बड़ी सेवा- मनमुटाव पैदा करना, असंतोष को जन्म देना और हड़ताल कराना है। वे यह नहीं देखते कि यह असंतोष, ये हड़तालें अंत में किसे हानि पहुंचाएगी। अधूरा ज्ञान सबसे बड़ी बुराइयों में से एक है। कुछ ज्ञान और निर्देश रूस से प्राप्त करते है। हमारे कम्युनिस्ट इसी दयनीय हालत में जान पड़ते है। मैं इसे शर्मनाक न कहकर दयनीय कहता हूं, क्योंकि मैं अनुभव करता हूं कि उन्हें दोष देने की बजाय उन पर तरस खाने की आवश्यकता है। ये लोग एकता को खंडित करनेवाली उस आग को हवा दे रहे हैं, जिन्हें अंग्रेज लगा गए थे। आज इन्हीं वामपंथियों के साथ गलबहियां करने वाली कांग्रेस को अवसर है कि न केवल अपनी राजनीतिक विरासत को पहचाने बल्कि इस देश की तासीर को समझ कर सांस्कृतिक विरासत के साथ अपने को एकात्म करे।

aum

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