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दस वर्षो तक सत्ता में रही यूपीए सरकार को स्वामीनाथन आयोग की याद नहीं आयी – भगतसिंह कुशवाह

14/06/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री भगतसिंह कुशवाह ने किसान हितैषी होने का ढोंग कर रही कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की नौटंकी पर कहा कि डॉ. स्वामीनाथन आयोग ने अपनी अनुशंसाएं तत्कालीन यूपीए सरकार को पेशकर दी थी। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वयं यूपीए सरकार के घटक थे। आयोग की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी ने ही डॉ. स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं पर अमल किया है। मध्यप्रदेश सरकार ने आयोग की सिफारिश 4 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने से आगे बढ़कर जीरो प्रतिशत पर कर्ज दिया है। कांग्रेस का तो किसानों के हित की बात करना किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कना है। कांग्रेस की सरकारों ने छः दशक तक किसानों से 18 प्रतिशत ब्याज वसूला। श्री अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने ही इसे कम करने की पहल की जो सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में किसान को राहतकारी बनी है।
उन्होंने कहा कि समाज में 52 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग है जो अधिकांश किसान, खेतिहर मजदूर है। उनकी पीड़ा भारतीय जनता पार्टी ने समझी है। आयोग की अनुशंसा के अनुरूप सिंचाई क्षमता बढ़ायी गयी। विपणन सुविधाओं में सुधार किया गया। किसान की लागत कम करने के लिए नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन कर खाद सब्सिडी में होने वाले भ्रष्टाचार को कम किया और खाद हर किसान को उपलब्ध कराया। 1 लाख करोड़ रूपए बिचैलियों की जेब में जाने से बचाकर किसान के खाते में जमा किया है। किसान की आय 2022 तक दोगुना करने का अनुष्ठान श्री नरेन्द्र मोदी ने आरंभ किया है। भारतीय जनता पार्टी ने खेती का बजट बढ़ाया और लागत कम करने की दिशा में क्रांतिकारी कदमों के कारण आज देश और प्रदेश में दलहन का विपुल उत्पादन इसका प्रमाण है।
श्री भगतसिंह कुशवाह ने कहा कि कांग्रेस लोकतंत्र की वास्तविकता से दूर भाग रही है। सबका साथ सबका विकास की मुहिम भाजपा ने आरंभ की है। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया किसान सत्याग्रह के नाम पर ढोंगकर रहे है। किसान बहकावे में आने वाले नहीं है। भाजपा किसान हितैषी पार्टी है। कांग्रेस ने तो किसान को वोट बैंक बनाए रखा और चुनाव आने पर चंद राहत देकर कभी उसे आगे नहीं बढ़ने दिया। यही कारण है कि देश की अर्थव्यवस्था में आजादी के बाद खेती का जो 53 प्रतिशत योगदान था वह 60 वर्षो में घटकर 13 प्रतिशत रह गया। एनडीए सरकार ने इस दिशा में रचनात्मक, उत्साहवर्द्धक पहल की है जिसे कांग्रेस नकारात्मक दिशा देकर अपनी हताशा का प्रदर्शन कर रही है।

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