प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 से 15 अगस्त तक देशवासियों से हर घर तिरंगा अभियान में शामिल होने का आग्रह किया
#narendramodi,#PM,#primeministerofindia,#todayindialive,#todayindia24,#mankibaatप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि आजादी के अमृत महोत्सव ने जन आंदोलन का रूप ले लिया है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में श्री मोदी ने कहा कि इस महोत्सव से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में जीवन और समाज के हर क्षेत्र से जुड़े लोग भागीदारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मन की बात की यह 91वीं कड़ी अत्यधिक विशेष है क्योंकि भारत शीघ्र ही अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रोता सौभाग्यशाली है कि वे स्वतंत्र भारत में पैदा हुए हैं। यह सोचने वाली बात है कि यदि हम गुलामी के दौर में पैदा होते तो इस दिन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। यह सोचने वाली बात है कि उस दौर के लोगों के लिए गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आजादी की वो बेचैनी कितनी बड़ी रही होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाखों देशवासियों ने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।
आज शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि भी है। प्रधानमंत्री ने शहीद उधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया था। प्रधानमंत्री ने इस महीने के शुरू में मेघालय में अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम का जिक्र किया, जहां लोगों ने मेघालय के बहादुर योद्धा यू टिरोत सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया। टिरोत सिंह ने खासी हिल्स पर नियंत्रण करने और वहां की संस्कृति पर प्रहार करने के अंग्रेजों के षड्यंत्र का पुरजोर विरोध किया था। मेघालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्य की संस्कृति को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया। श्री मोदी ने कर्नाटक में अनूठे अभियान अमृता भारती कन्नड़ार्थी का भी जिक्र किया। इस अभियान के तहत राज्य के 75 स्थानों पर आजादी का अमृत महोत्सव से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने अत्यधिक दिलचस्प प्रयास किया गया है, जिसका नाम है – आजादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन। इस प्रयास का उद्देश्य लोगों को स्वतंत्रता संघर्ष में भारतीय रेलवे की भूमिका की जानकारी देना है। श्री मोदी ने कहा कि झारखंड में गोमो जंक्शन को अब आधिकारिक रूप से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है। यह वही स्टेशन है जहां कालका मेल में सवार होकर नेता सुभाष चन्द्र बोस ब्रिटिश अधिकारियों को चकमा देने में सफल रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां जैसे जांबाजों से से जुड़ा है। तमिलनाडु के तुतुकुडी जिले में वांची मणियांची जंक्शन का नाम स्वाधीनता सेनानी वांची नाथम के नाम पर रखा गया है। वांची ने 25 वर्ष की उम्र में अंग्रेज कलेक्टर को उसके कुकृत्य की सजा दी थी।
देश के 24 राज्यों में इस तरह के 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आसपास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन को देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आसपास के स्कूलों के विद्यार्थियों को शिक्षकों को इन स्टेशनों को देखना चाहिए और वहां के घटनाक्रम की जानकारी बच्चों को देनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान का भी उदाहरण दिया, जो आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने श्रोताओं से इस आंदोलन का अंग बनने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को 13 से 15 अगस्त तक अपने घरों में तिरंगा फहराना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि तिरंगा हमें जोड़ता है और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है। प्रधानमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि लोग दो अगस्त से 15 अगस्त तक अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर तिरंगे का चित्र लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दो अगस्त का भारतीय ध्वज से विशेष संबंध है। दो अगस्त पिंगली वेंकैया की जयंती है जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था। प्रधानमंत्री ने महान क्रांतिकारी भीकाजी कामा को भी याद किया, जिन्होंने तिरंगे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव का सबसे बड़ा संदेश यही है कि प्रत्येक व्यक्ति को पूरे समर्पण के साथ अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले 25 वर्ष का अमृत काल प्रत्येक देशवासी के लिए कर्तव्य काल भी है।
श्री मोदी ने कहा कि कोविड महामारी से लड़ाई अब भी चल रही है और समग्र स्वास्थ्य देशभाल में बढ़ती रूचि से प्रत्येक व्यक्ति को इस महामारी से निपटने में सहायता मिली है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इसके लिए पारम्परिक भारतीय चिकित्सा पद्धति उपयोगी साबित हुई है। आयुष ने वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आयुर्वेद और भारतीय औषधियों में दुनियाभर की रूचि बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और इस क्षेत्र में अनेक नए स्टार्ट-अप उभर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में आयोजित वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार सम्मेलन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान लगभग दस हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान औषधीय पौधों पर अनुसंधान बड़ा और इसके बारे में अनेक अध्ययन प्रकाशित किए जा रहे हैं। यह अच्छी शुरूआत है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय वर्चुअल हर्बेरियम का भी जिक्र किया जो इसी महीने शुरू किया गया है। संरक्षित पौधों या उनके अंगों की डिजिटल छवि का संग्रह है। यह इंटरनेट पर नि शुल्क उपलब्ध है। इस वर्चुअल हर्बेरियम में एक लाख से अधिक सहजातियों के पौधे और उनकी वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध है। यह भारत की जीव वैज्ञानिक विविधता की समृद्ध छवि प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हर्बेरियम भारतीय वनस्पति जगत पर अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण साधन बनेगा।
प्रधानमंत्री ने सफलता की विभिन्न गाथाओं का जिक्र करते हुए कहा कि शहद उत्पादन में किसानों ने कई आश्चर्यजनक कार्य किए हैं। हरियाणा में यमुनानगर के किसान सुभाष काम्बोज लगभग दो हजार बक्सों में मधुमक्खी पालन करते हैं उनका शहद कई राज्यों में भेजा जाता है। जम्मू के पल्ली गांव के किसान विनोद कुमार ने पिछले वर्ष रानी मक्खी को पालने का प्रशिक्षण लिया, अब वे प्रति वर्ष 15 से 20 लाख रुपये तक कमाई कर रहे हैं। श्री मोदी ने कर्नाटक के किसान मधुकेशवर हेगड़े का भी उदाहरण दिया जिन्होंने सरकार से मधुमक्खियों की 50 कालोनियों के लिए सब्सिडी ली। आज उनके पास आठ सौ से अधिक कॉलोनी हैं और कई टन शहद बेचते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में शहद को अत्यधिक महत्व दिया गया है और उसे अमृत बताया गया है। आज शहद उत्पादन में इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले युवा भी इसे स्वरोजगार बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इसी तरह का उदाहरण देते हुए उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के युवा निमित सिंह का जिक्र किया। निमित ने बी टेक किया है लेकिन उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू किया और गुणवत्ता की जांच के लिए लखनऊ में अपनी प्रयोगशाला बनाई। निमित अब शहद और मोम से अच्छी कमाई कर रहा है और किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है। श्री मोदी ने कहा कि भारत से शहद का निर्यात भी बढ़ गया है। उन्होंने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन जैसे अभियानों और किसानों के परिश्रम को इसका श्रेय दिया।
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