भोपाल। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रावत ने कहा कि वित्त वर्ष में बदलाव करके मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने खेती को राडार पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि 1 अपै्रल से 31 मार्च तक वित्त वर्ष के बजाय 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक किये जाने से अब कृषि की दशा का आकलन करने में आसानी होगी। बजट में किसानोन्मुखी प्रावधान किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस वर्ष बजट पहली फरवरी को पेश किये जाने का नतीजा है कि बजट में खेती के लिए प्रावधान किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष में बदलाव करने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य बन गया है। विश्व के अधिकांश देशों में वित्त वर्ष की शुरूआत 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक है। अपै्रल से मार्च तक वित्त वर्ष की परम्परा अंग्रेजों ने 1867 में आरंभ की थी। 1984 में इसमें बदलाव करने का पहले-पहल विचार हुआ था और एल.के.झा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। 1985 में समिति ने रिपोर्ट दे दी थी। समिति का निष्कर्ष था कि वित्त वर्ष में बदलाव करना हितकर होगा। लेकिन बात ठहर गई। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शंकर आचार्य की अध्यक्षता में समिति गठित कर इस विषय में ठोस पहल आरंभ की। इस समिति को इस बात पर विशेष विचार करने को कहा गया है कि वित्त वर्ष के बदलाव से खेती किसानी को लाभ कैसे मिलेगा। रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। यदि अनुकूल रिपोर्ट आती है तो संविधान में संशोधन कर देश में वित्त वर्ष 1 जनवरी से आरंभ करने की संवैधानिक स्वीकृति मिल जायेगी।
श्री रणवीर सिंह रावत ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने स्वमेव पहल का दूसरों के लिए उदाहरण पेश कर दिया है। आर्थिक समीक्षकों का मानना है कि खेती का योगदान जीडीपी में आजादी के बाद 53 प्रतिशत था जो लगातार कम हुआ है। यहां तक कि 2016 में जीडीपी में खेती का योगदान महज 6.1 प्रतिशत रह गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि खेती पर देश की 70 प्रतिशत आबादी की निर्भरता है। ऐसे में कोई भी मुल्क खेती की उपेक्षा कैसे कर सकता है। 1 जनवरी से वित्त वर्ष की गणना से खेती-किसानी बजट प्राथमिकता में शामिल हो जायेगी।