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मुख्यमंत्री चौहान ने हरिद्वार में रूद्राक्ष का पौधा लगाया

मुख्यमंत्री चौहान ने हरिद्वार में रूद्राक्ष (rudraksh) का पौधा लगाया
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स्वामी अवधेशानंद जी तथा स्वामी परमानंद गिरी जी के साथ किया पौध-रोपण
रोपे गए पौधे को नाम दिया गया रूद्र राज
450 वर्ष के पवित्र रुद्राक्ष वृक्ष की परिक्रमा कर प्रदेशवासियों की खुशहाली के लिए की प्रार्थना
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी के साथ आज हरिहर आश्रम कनखल हरिद्वार में रूद्राक्ष का पौधा लगाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पौधे रूद्राक्ष का नाम “रूद्र राज” दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह पौध-रोपण प्रकृति पर्यावरण, मानवीय अस्तित्व एवं संपूर्ण जैव जगत के रक्षणार्थ और संवर्धन के उद्देश्य से किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्मपत्नि श्रीमती साधना सिंह चौहान के साथ 450 वर्ष पुराने पवित्र रुद्राक्ष वृक्ष की परिक्रमा कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की प्रार्थना की।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हरिहर आश्रम कनखल में श्री पारदेश्वर महादेव मंदिर में रूद्राभिषेक किया। साथ ही स्वामी अवधेशानंद जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्वामी अवधेशानंद जी को साँची स्तूप की प्रतिकृति और आदिशंकराचार्य का चित्र भेंट किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अखण्ड परम धाम आश्रम हरिद्वार में महामंडलेश्वर युग पुरूष श्री परमानंद गिरी जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके साथ रूद्राक्ष का पौधा लगाया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकांनंद जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

रूद्राक्ष आस्था का प्रतीक है तथा पवित्र वृक्ष माना जाता है। इसके फल की मालाएँ भी धारण की जाती हैं। ऐसा जन-विश्वास है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के नेत्रों के जलबिंदु से हुई। रूद्राक्ष धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष मंत्र-जाप के लिए भी पहने जाते हैं। इसके बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाते हैं। रूद्राक्ष मुख्य रूप से हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं। असम, मध्यप्रदेश, उत्तरांचल, अरूणाचल, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में भी पर्याप्त मात्रा में रूद्राक्ष पाए जाते हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्र में भी रूद्राक्ष मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक और रामेश्वरम में भी रूद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं।
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