रायपुर, 09 अगस्त 2016
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नक्सलियों से हिंसा छोड़ने और शांतिपूर्ण विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का आह्वान किया है। डॉ. सिंह ने कहा कि यदि वे ऐसा करते हैं तो छत्तीसगढ़ सरकार उन्हें गले लगाने को तैयार रहेगी। मुख्यमंत्री ने आज राजधानी रायपुर में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों के विशाल सम्मेलन और अलंकरण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा-हमारी कोशिश है कि बस्तर में एक बार फिर ढोल और मांदर की थाप गूंजे। बस्तर अब तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसी) और राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी.) की परीक्षाओं की तैयारी के लिए बस्तर और सरगुजा में विशेष कोचिंग केन्द्र खोलने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इन कोचिंग केन्द्रों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को कोचिंग दी जाएगी।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर इस विशाल सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने की। श्री कुलस्ते ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व मे ंराज्य सरकार सराहनीय प्रयास कर रही है। इस मौके पर प्रदेश के गृहमंत्री श्री रामसेवक पैकरा, वन मंत्री श्री महेश गागड़ा तथा स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति तथा जनजाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप, अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जी. आर. राणा, राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य श्री मोहन मण्डावी ने भी सम्मेलन का सम्बोधित किया। उन्होंने लोगों को राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समाज के कल्याण और विकास के लिए संचालित योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम में पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री दयालदास बघेल, श्रम मंत्री श्री भईयालाल राजवाड़े, संसदीय सचिव श्री तोखन साहू, श्रीमती सुनीति सत्यानंद राठिया, छत्तीसगढ़ अन्त्यावसायी वित्त विकास निगम के अध्यक्ष श्री निर्मल सिन्हा भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री कुलस्ते ने इस अवसर पर खेल, शिक्षा, चिकित्सा, समाज सेवा तथा कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य से छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाले आदिवासी समाज के 200 छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सहित असम, गुजरात, त्रिपुरा, मेघालय, और मणिपुर के कलाकारों द्वारा आदिवासी नृत्य की आकर्षक प्रस्तृति दी गई।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह, भूमकाल के जननायक गुण्डाधूर, जननायक बिरसा मुण्डा, वीरांगना रानी दुर्गावती तथा भूमिया राजा शहीद गेंद सिंह सहित उन सभी महापुरूषों की शहादत को नमन किया, जिन्होंने देश की आजादी में अपने प्राणों की आहूति दी । डॉ. सिंह ने कहा -भारत के इन सपूतों के बलिदान की बदौलत ही आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे है। श्री रामदयाल मुण्डा के अथक प्रयास से 9 अगस्त से विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरूआत हुई है और आज न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हजारों सालों से प्रकृति और संस्कृति को संरक्षित रखने का काम जनजातीय समाज के लोग कर रहे है। वन संपदा और खनिज संपदा की रक्षा में आदिवासी भाईयों की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि आज का दिन छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरवशाली दिन है जब रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन में आदिवासी संस्कृति और कला के संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के लिए 100 करोड़ की लागत से 120 एकड़ में अनुसंधान और प्रशिक्षण केन्द्र के लिए भूमिपूजन हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर और सरगुजा के बच्चों में भी प्रतिभा की कोई कमी नही है, बस कमी थी तो अवसर की जिसे हमने प्रयास विद्यालय के माध्यम से प्रदान किया और यहां के बच्चों ने आईआईटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग में चयनित होकर इसे साबित कर दिखा दिया है। इस साल प्रयास विद्यालय से 27 बच्चों का चयन देश की सबसे कठिन परीक्षा आईआईटी में हुआ है, हमारी यह कोशिश रहेगी कि इस साल प्रयास विद्यालय से 100 से ज्यादा बच्चे इस परीक्षा में सफल हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति के युवाओं को यूपीएसी परीक्षा की तैयारी के लिए नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोचिंग संेटर संचालित किया जा रहा है। यूपीएससी और पीएससी की तैयारी के लिए जल्द ही बस्तर और सरगुजा में कोचिंग संेटर प्रारंभ किए जाएंगे जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे इन परीक्षाओं में सफल होकर देश में अपनी सेवाएं दे सके। उन्होंने कहा- मिजो, नागा बटालियन की तर्ज पर दिल्ली से बस्तर बटालियन के गठन की स्वीकृति भी मिल गई है। आगामी 3 माह में अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवाओं से इसका गठन कर लिया जाएगा। इससे बस्तर और छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा – देश के अधिकांश राज्यों में आदिवासी निवासरत हैं। वे जन्मजात साहसी प्रवृत्ति के तो होते ही हैं, कर्मठता के क्षेत्र में भी आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान है। इसका लाभ देश के गौरव को बढ़ाने में मिलता रहा है। इनके योगदान की वजह से ही देश की महान सांस्कृतिक परम्परा अभी भी संरक्षित है। इनमें आदिवासी समाज के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने राज्य में आदिवासियों के उत्थान और विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यो और पहल की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि केन्द्र में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपयी ने आदिवासियों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उन्हें वन अधिकार मान्यता पत्र के वितरण से लाभान्वित किया। इसी तरह वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा महापुरूषों की जन्मस्थली पर स्मारक बनाने का पुनीत कार्य किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में आदिवासियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही संपूर्ण विकास के क्षेत्र विशेष रूप से कार्य किए जा रहे हैं जिससे वे विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ सके।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव श्री एन.के.असवाल, आदिम जाति एवं जनजाति विकास विभाग के आयुक्त श्री राजेश सुकुमार टोप्पो तथा कलेक्टर श्री ओ.पी. चौधरी सहित आदिवासी समाज के प्रमुख तथा बड़ी संख्या में प्रदेश से आए आदिवासी वर्ग के युवक-युवतियां व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।