आलेख: गृह मंत्री अमित शाह जन्मदिन विशेष-प्रभात झा
(पूर्व सांसद एवं पूर्व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)
Amit Shah,amit shah ka janm din,happy Birthday Amit Shah,todayindia,todayindianews,today india news in hindi,Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today indiaविस्मार्क जैसी संगठन कुशलता, चाणक्य जैसी राजनीतिक सिद्धहस्तता तथा राष्ट्रीय एकीकरण के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा से सरदार पटेल ने भारत ही नहीं विश्व के राजनीतिक इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकीकरण का निर्माण करना। वे विश्व के एकमात्र इतिहास पुरुष हैं जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का अदम्य साहस दिखाया। आज वही स्थान भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में देश के गृहमंत्री अमित शाह का है जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में सदियों से अनसुलझी राम जन्म भूमि विवाद और दशकों से अनसुलझी धारा 370 की समस्या से देश को निर्बाध निजात दिलाया। अदम्य साहस,असीम शक्ति, मानवीय समस्याओं के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ जिस प्रकार स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने निर्भय होकर नवजात स्वतंत्र भारत की कठिनाईयों का समाधान अद्भुत सफलता के साथ किया और भारतीय जनमानस में अमिट स्थान बनाया। वही अमिट स्थान भारतीय जनमानस में आज गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने बनाया है। अद्भुत संयोग है कि भारत के इन दोनों महापुरुषों का जन्म अक्टूबर माह में हुआ और दोनों गुजरात से ही हैं। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को और अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर को हुआ।
भारतीय जनता पार्टी के अबतक के सबसे सफल अध्यक्ष और सरदार पटेल के बाद भारत के सबसे निर्णायक गृह मंत्री 56 वर्षीय अमित शाह जुलाई 2014 में मात्र 49 वर्ष की आयु में भाजपा के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उनके संगठन कौशल और कार्यक्षमता को पहचानते हुये ही भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व, तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीती। पहली बार लोक सभा के चुनाव में भाजपा को 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिली। उनके नेतृत्व में पार्टी और विचारधारा का निरंतर विस्तार हुआ। भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में पार्टी की सरकार बनी, दक्षिण में पार्टी का अभूतपूर्व विस्तार हुआ।
अवसर सबको मिलता है, लेकिन अपने-अपने कार्यकाल में क्या किया वही इतिहास में दर्ज होता है। सभी लोग अवसर को परिश्रम और पराक्रम में नहीं बदल पाते हैं । अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष के रूप में मिले अपने अवसर को परिश्रम और पराक्रम में बदला। भाजपा अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल इतिहास के पन्नों में सबसे सफल कार्यकाल के रूप में दर्ज हो गया। भाजपा के कई अध्यक्ष हुए, सबने पार्टी को आगे बढ़ाया, सबने पार्टी का विस्तार किया। लेकिन अमित शाह के अध्यक्षीय कार्यकाल में पार्टी और विचारधारा का जो निरंतर विस्तार हुआ वह मिशाल बन गया। उन्होंने पार्टी के लिए 10 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा। महासंपर्क अभियान और मिस्ड कॉल सर्विस चलाया। पार्टी की सदस्य संख्या 11 करोड़ तक पहुंच गई। भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में एक समय ऐसा भी आया जब देश के 68 प्रतिशत भूभाग पर भाजपा और भाजपा गठबंधन की सरकार थी। पहले कोई कल्पना भी कर सकता था कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकार हो। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में 403 सीटों में 325 सीटों पर जीत। इस जीत ने तो राजनीतिक पंडितों तक को भी अचम्भित कर दिया था।
एक समय था देश के पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा कभी सरकार में शामिल नहीं हो पाती थी। अमित शाह के अध्यक्ष रहते हुए न केवल पहली बार पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की सरकार बनी, बल्कि ‘सप्त बहनें’ कही जाने वालीं सातों राज्यों में भाजपा सरकार में शामिल हुई। जहां असम और त्रिपुरा में लगभग कई दशकों से सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों को हटाकर भाजपा के मुख्यमंत्री बने। अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी भाजपा के मुख्यमंत्री बने। वहीं मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में भी भाजपा सरकार में शामिल हुई। दक्षिण में कर्नाटक में सरकार, केरल में भाजपा का विधायक होना। भाजपा ने पहली बार 2016 के केरल विधानसभा चुनाव में एक सीट पर विजय प्राप्त की । अमित शाह ने उत्तर भारत की राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भाजपा को अखिल भारतीय पार्टी बनाया। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को पुनः पूर्ण बहुमत मिला। भाजपा की सीट 2014 के 282 से बढ़कर 2019 में 303 हो गई। दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों में भी कई सीटें मिलीं, जहां पहले पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलती थी।
‘कार्यकर्ता, कार्यालय, कार्य, कार्यक्रम और कोष’ आधारिक राजनीतिक संस्कृति के साथ आगे बढ़कर अमित शाह ने भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी और भारत में अजेय राजनीतिक पार्टी बनाया। वहीं चक्रीय प्रवास, क्षेत्रीय बैठकें, कोर ग्रुप की नियमित बैठकें, जिला कार्यालय निर्माण प्रकल्प, कार्यालय आधुनिकीरण प्रकल्प, जनसंवाद ई-ग्रंथालय एवं डॉक्यूमेंटेशन, सदस्य्ता अभियान, प्रशिक्षण महाभियान, संवाद एवं समन्वय, मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष उत्सव जैसे नूतन कार्य प्रयोगों से उन्होंने भारतीय जनमानस का भाजपा और भाजपा कार्यकर्ता के साथ एक बॉन्डिंग का निर्माण किया जो अन्य राजनीतिक पार्टियों की सोंच के परे है। अध्यक्ष पद ग्रहण करने के तत्काल बाद उन्होंने पार्टी के संविधान में संशोधन लाकर सदस्यता अभियान को नया और प्रभावी स्वरुप दिया। संगठन पर्व के तहत सदस्यता अभियान को गति दिया गया और 50 से भी अधिक प्रकार के अलग-अलग कार्यक्रम पार्टी द्वारा आयोजित किये गए।
देश के 80 प्रतिशत जिलों में भाजपा का अपना कार्यालय नहीं था। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में ही अधिकांश जिलों में या तो अपने कार्यालय हो गए या जमीन खरीद कर निर्माण कार्य होने लगा। केंद्रीय एवं प्रदेश कार्यालयों का आधुनिकीकरण हुआ। जिलावार पार्टी का इतिहास संकलन आरंभ हुआ। हर प्रदेश एवं जिला कार्यालय में एक ग्रंथालय निर्माण करना आवश्यक किया गया। अध्यक्ष के रूप में अमित भाई शाह ने पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आमजनों के साथ संपर्क कायम करने के लिए जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किये गए । जुलाई 2014 में अमित भाई भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 24 जनवरी 2016 को वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित हुए। 30 मई 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने और गृह मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद भी कुछ महीनों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर बने रहे और 20 जनवरी 2020 को इस पद से मुक्त हुए। कुल मिलाकर साढ़े पांच साल का उनका अध्यक्षीय कार्यकाल रहा।
अमित शाह अक्सर अपने भाषणों में कहा करते हैं ‘भाजपा एक राजनीतिक पार्टी होने के साथ-साथ एक विचारधारा है, एक आंदोलन है’, अध्यक्ष के नाते उन्होंने इसे चरितार्थ भी किया। हम यह कह सकते हैं कि आज देश के लोगों के बीच जितना सम्मान भाजपा कार्यकर्ता का है उतना किसी भी अन्य राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता का नहीं है। इसका श्रेय निश्चय ही पार्टी अध्यक्ष के रूप में अमित शाह के परिश्रम, कर्त्तव्ययपरायणता और समर्पण को जाता है। नए कार्यकर्ताओं को जोड़ना, उन्हें प्रशिक्षित करना, विचारधारा के प्रति समर्पण को कायम रखना, संगठन मंत्री का भी प्रशिक्षण, कोष की पवित्रता के लिए चेक से पेमेंट लेना। परिश्रमी और समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे लाना और उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व देना, कार्यकर्ता और संगठन के महत्व को शीर्ष प्राथमिकता में रखना, घोषणापत्र की घोषणाओं को चरितार्थ करना। आज अमित शाह पार्टी के अबतक के सबसे सफल अध्यक्ष हैं तो उसके मूल में उनकी ये कार्य योजनाएं और उनका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन है। उनके चिंता केंद्र में संगठन और कार्यकर्ता है तो सरकार और जनता भी है। यही कारण है कि केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकार के प्रति जन-जन का विश्वास बन पाया है। सरकार और जनता बीच संगठन और कार्यकर्ता कैसे सफल और प्रभावी समन्यवयकारी भूमिका निभा सकता है, यह उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है। उनके निर्णय ‘अपना-तुपना से दूर’ और ‘तेरा तुझको अर्पण’ के पवित्र विचार को समर्पित रहे हैं।
अमित शाह के अध्यक्षीय कार्यकाल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष उत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रमों में जनसंघ के समय के स्थानीय कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया। सिद्धांतों व विचारों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। देश के प्रत्येक घर एवं व्यक्ति को पंडित दीनदयाल जी के जीवन एवं उपलब्धियों से जोड़ा गया तथा अंत्योदय आधारित सरकार की सुशासन की नीतियां उनक पहुंचाने का कार्य किया गया। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जिस ‘एक निशान, एक विधान एवं एक संविधान’ के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उस संकल्प की सिद्धि की गई । भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों के भारत की योजनाओं को आगे बढ़ाना। राजमाता विजयराजे सिंधिया जन्मशताब्दी वर्ष का आयोजन किया जाना। अमित शाह ने अध्यक्ष के रूप में विचारधारा के प्रति समर्पण और व्यक्ति के प्रति सम्मान का जो आदर्श स्थापित किया है, पार्टी के हमारे वर्तमान अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो उस पथ पर चल ही रहे हैं, आने वाले सभी अध्यक्षों के लिए भी पाथेय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, भाजपा के प्रति जनविश्वास एवं अमित शाह की सांगठनिक कुशलता के फलस्वरूप मई 2019 में भाजपा को अपार जनसमर्थन मिला। नरेंद्र मोदी पुनः देश के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सरकार में अपना सहयोगी बनाने का निर्णय लिया। 30 मई 2019 को अमित शाह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और देश के गृह मंत्री बने। गृह मंत्री के रूप में उन्होंने भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के 70 वर्षों से लंबित अधूरे कार्यों को एक वर्ष से भी कम अवधि में पूरा कर दिखाया। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को समात करना, देश में एक निशान एक विधान और एक प्रधान को साकार करना, नागरिकता संशोधन कानून लागू कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत में आश्रय देना, तीन तलाक को समाप्त कर देश की मुस्लिम महिला के अस्मिता की रक्षा करना और सदियों से आस्था एवं राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतिक राम मंदिर बनने के मार्ग को शांति और सौहार्द के साथ प्रशस्त करना, गृहमंत्री के रूप में अमित शाह की ऐसी उपलब्धियां हैं, भारत के राजनीतिक इतिहास में उनका ऐसा अमिट स्थान बन गया है, वर्तमान ही नहीं आने वाली पीढ़ियों को भी गर्व होगा।
आज कोरोना महामारी के काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व का मार्गदर्शन कर रहे हैं, तो इसके पीछे की एक बड़ी शक्ति अमित शाह हैं। जहां एक ओर कार्यालय के बंद कमरे में बैठकर देश के कोने-कोने का व्यक्तिगत मॉनिटरिंग करते रहे हैं, वहीं राजधानी दिल्ली में स्थिति बिगड़ने पर स्वयं अस्पतालों का दौरा करने का साहसिक कदम उठाया। इस दौरान वे स्वयं भी अस्वस्थ हो गए। भारत मां और भारत की 130 करोड़ जनता का आशीर्वाद है उनपर। भगवान् की असीम कृपा है उनपर। वे शीघ्र स्वस्थ हुए। उन्होंने देश में एक वैचारिक आंदोलन शुरू किया। राष्ट्रहित और जनहित के फैसले लेने में वे न टूटे और न झुके, सदैव आगे बढ़ते रहे। उनकी यह जीवटता अनथक जारी है। आज कुछ अराष्ट्रीय तत्व, जिन्हे भारत, भारतीय संविधान और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से प्रेम नहीं है, राष्ट्र को गुमराह करने की कोशिश करते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उनके जन्मदिन पर हम भारत के नागरिकों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि उनके शरीर के खून का एक-एक बूंद भारत मां को समर्पित है और जबतक जीवित हैं समर्पित रहेगा।
प्रभात झा
(पूर्व सांसद एवं पूर्व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)
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