todayindia,todayindianews,today india news in hindi,Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today india
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री ने कहा–शिक्षा नीति सुगमता, समता, गुणवत्ता, किफायत और जवाबदेही पर आधारितकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को स्वीकृति प्रदान कर दी। इसमें उच्च शिक्षा संस्थाओं के लिए एकल विनियामक बनाने, डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने और बीच में पढ़ाई छोड़ने, एम.फिल पाठ्यक्रमों को समाप्त करने, बोर्ड परीक्षाओं को ज्यादा महत्व न देने, विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आयोजन जैसी प्रमुख बातों को शामिल किया गया है।
आज नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी के लिए देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि यह बात बड़ी महत्वपूर्ण है कि पिछले 34 साल में शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ।
शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि नई शिक्षा नीति 2020 नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय के नाम से पुकारा जाएगा।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताया कि इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर को 2020-2035 तक बढ़ा कर 50 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचाना है। 2018 में यह दर 26 दशमलव तीन प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों में कम से कम साढ़े तीन करोड़ नई सीटें बढ़ाई जाएंगी। श्री खरे ने कहा कि इसमें व्यापक आधार वाली, बहु-विषयक, समग्र स्नातक शिक्षा का प्रावधान किया गया है, जिसमें पाठ्यक्रम लचीला, रचनात्मक और व्यावसायिक शिक्षा से समन्वित होगा। उन्होंने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रम में विभिन्न स्तरों पर प्रमाणपत्र और डिप्लोमा के साथ बाहर भी आया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि स्नातक तक की शिक्षा तीन या चार साल की हो सकती है।
उच्च शिक्षा सचिव ने कहा कि अगले 15 वर्षों में कालेजों को विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध करने की प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा। इस दौरान कालेज डिग्रियां प्रदान करने वाले स्वायत्त कालेजों के रूप में अपना विकास कर लेंगे।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनीता करवाल ने कहा है कि नई शिक्षा नीति के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं को अनावश्यक महत्व नहीं दिया जाएगा और जोर इस बात पर होगा कि विद्यार्थियों के ज्ञान के उपयोग और अवधारणाओं की जानकारी का आकलन हो सके। उन्होंने कहा कि पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाएं शिक्षा का माध्यम होंगी। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम को कम किया जाएगा और उसमें मूल धारणाओं को ज्यादा महत्व दिया जाएगा। छठी कक्षा से बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाएगी।
नई शिक्षा नीति के मूल्यांकन के लिए पूर्व मंत्रिमंडल सचिव टीएसआर सुब्रहमण्यम की अध्यक्षता में गठित समिति ने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पिछले साल सौंपा था। इसे सुझावों और प्रतिक्रियाओं के लिए वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। मंत्रालय को इस संबंध में दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे।
============
courtesy
============
todayindia,todayindianews,today india news in hindi,Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today india