भोपाल : मंगलवार, जून 14, 2016
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जन-प्रतिनिधियों से समाज के हर बच्चे को शाला में प्रवेश करवाने में सहयोग करने की अपील की है। जन-प्रतिनिधियों के नाम जारी संदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि शिक्षा के प्रसार के लिये संचालित ‘स्कूल चलें हम” अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री ने जन-प्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि वे अभियान को अपना नेतृत्व प्रदान कर यह देखें कि शालाओं में दी जा रही शिक्षा गुणवत्तायुक्त हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि बच्चों का बहु-आयामी विकास हो। इस दृष्टि से इस साल शालाओं में 16 जून को प्रवेशोत्सव आयोजित कर लगातार 7 दिन तक सांस्कृतिक एवं खेल गतिविधियाँ आयोजित होंगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नये शिक्षा सत्र के प्रारंभ से ही ‘स्कूल चलें हम” अभियान को व्यापक जन-आंदोलन के रूप में संचालित किया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य है कि 6 से 18 आयु के सभी बालक-बालिकाएँ शालाओं में प्रवेश लें तथा नियमित स्कूल जायें। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले चरण में शाला में जाने वाले हर बच्चे के नामांकन, उपस्थिति और उसे विभिन्न योजनाओं में दिये जाने वाले प्रोत्साहन को सुनिश्चित करने के लिये ग्राम/वार्ड शिक्षा पंजी, समग्र शिक्षा पोर्टल एवं डाटा-बेस का एकीकरण किया गया है। ‘स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय” अभियान के सफल क्रियान्वयन से हर शाला में विद्यार्थियों के लिये अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था की गयी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बच्चों के लिये एक किलोमीटर पर प्राथमिक एवं तीन किलोमीटर पर माध्यमिक शाला की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। स्कूलों में नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें, गणवेश, साइकिल, मध्यान्ह भोजन के साथ ही छात्रवृत्ति एवं बालक-बालिकाओं के लिये रहवासी सुविधाओं से परिपूर्ण छात्रावास की सुविधा है। दिव्यांग बच्चों के लिये भी छात्रावास की व्यवस्था की गयी है।
श्री चौहान ने जन-प्रतिनिधियों से अभियान को अपने क्षेत्र में सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि जन-प्रतिनिधि शालाओं में आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाने के लिये सामाजिक नेतृत्वकर्त्ताओं, धर्म-गुरुओं, सामाजिक संगठनों आदि को विद्यालय उपहार योजना में सहयोग देने के लिये प्रेरित भी करें। समाज के ऊर्जावान व्यक्तियों को प्रेरित किया जाये कि वे अभियान के प्रेरक के रूप में अपने स्तर से शाला जाने योग्य बच्चों को न केवल शाला भेजें, बल्कि उनकी शाला में सतत उपस्थिति भी रहे।