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भोपाल : सोमवार, जून 24, 2019
सफेद बाघ और जैव-विविधता के संरक्षण की चुनौती स्वीकार करते हुए प्रदेश के सतना जिले के मुकुन्दपुर सफेद बाघ सफारी एवं चिड़ियाघर ने अपनी जैव-विविधता और कीमती लकड़ियों के भण्डारण को बरकरार रखकर प्रबंधन की बेहतरीन मिसाल पेश की है। सतपुड़ा-विंध्याचल मैकल के पर्वत श्रेणी क्षेत्र में विंध्य के घने वन से ढंके सीमांत क्षेत्र में 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले दुनिया में अपनी तरह के इकलौते चिड़ियाघर, सफारी प्रजनन-सह-उपचार केन्द्र क(mukundpur white tigar safari)(todayindia)(latest news)(breaking news)(bollywood news)(cricket news)(sports news)(political news) रूप में जाना जाता है। व्हाइट टाइगर सफारी एण्ड जू में आज भी दुर्लभ प्रजाति के वन्य-प्राणियों, जैव-विविधता और कीमती लकड़ियों के पेड़ों को देखा जा सकता है।

नैसर्गिक वनों के बीच स्थित दुनिया के इस सर्वोत्तम चिड़ियाघर में फैला हुआ घास का मैदान है। यहाँ पाये जाने वाले जंगली जानवरों बाघ, लायन, पैंथर, बंदर और आप्रवास के लिये बाहर से आने वाले पक्षियों के लिये यह सुरक्षित आवास बन गया है। यहाँ का अनोखा प्राकृतिक वातावरण कीमती और औषधि प्रदान करने वाले वृक्षों के विकास में सहायक है। प्रवासी पक्षियों के लिये यह जगह स्वर्ग के समान है। इसे वर्ष 2016 में चिड़ियाघर, सफारी एवं प्रजनन-सह-उपचार केन्द्र का दर्जा प्रदान किया गया था। यह चिड़ियाघर एवं सफारी यहाँ पाये जाने वाले 16 प्रकार के जलीय पक्षियों तथा 74 अन्य पक्षियों की प्रजातियों तथा 47 प्रकार की तितलियों एवं 32 प्रकार के सरीसृपों के लिये भी प्रसिद्ध है। यहाँ का परिवेश इन जीव-जन्तुओं का प्राकृतिक आवास है। इसमें 116 प्रजाति के वृक्ष, 25 प्रकार की झाड़ियाँ एवं 19 बेलाओं की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

इस चिड़ियाघर एवं सफारी में दुर्लभ प्रजाति के सफेद बाघ को संरक्षित करने का काम सबसे पहले यहाँ रीवा रियासत के दौरान यहाँ हुआ। यहाँ प्रथम बंदी प्रजनन केन्द्र उस समय बनाया गया। केन्द्र में जंगल से पकड़े गये पहले सफेद बाघ को रखा गया, जिसका नाम मोहन रखा गया। इस प्रजाति को बचाने के लिये राधा नाम की एक मादा बाघिन को यहाँ लाकर उनका समागम कराया गया, जिनसे पैदा हुई सभी संतति सफेद रंग की थीं। इस तरह पूरी दुनिया में 198 सफेद बाघ हैं। इनमें से अकेले भारत में 98 सफेद बाघ हैं। ये सभी चिड़ियाघरों में ही हैं।

यह चिड़ियाघर देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में नैसर्गिक वनों के बीच बनने वाला सर्वोत्तम चिड़ियाघर है। यहाँ क्षेत्रीय नैसर्गिकता को नष्ट किये बगैर वन्य-प्राणियों के लिये बाड़ों तथा अधोसंरचना के निर्माण का प्रयास किया गया है। इससे सभी संरचनाएँ प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप दिखने लगी हैं।

लुप्तप्राय वन्य-प्राणी जो विंध्य एवं आसपास के भौगोलिक वन क्षेत्र में निवास करते हैं, उन्हें संरक्षण एवं प्रजनन के लिये भी यहाँ केन्द्र की स्थापना की गयी है। वन क्षेत्रों से भटककर बाहर आये लुप्तप्राय अनाथ एवं बीमार वन्य-प्राणियों को बेहतर आवास एवं चिकित्सा उपलब्ध कराना भी केन्द्र का मकसद है। घने जंगल में बसे बाघों के लिये इतराने वाले सफारी में 3400 वर्ग मीटर में सफेद बाघ (व्हाइट टाइगर) बाड़ा, लायन बाड़ा 3300 वर्ग मीटर, यलो टाइगर बाड़ा 3000 वर्ग मीटर, पेंथर बाड़ा 1150 वर्ग मीटर और स्लोथवियर बाड़ा 2200 वर्ग मीटर में बनाया गया है।

कृष्ण मृग, चीतल, नीलगाय, सांभर, जंगली सुअर के लिये भी चिड़ियाघर में अलग-अलग बाड़े बनाये गये हैं। चिड़ियाघर में रखे गये वन्य-प्राणियों के उपचार के लिये वेटनरी हॉस्पिटल भी बनाया गया है। चिड़ियाघर में नर्सरी भी है, जहाँ सौन्दर्यीकरण के लिये पौधे और जैविक खाद भी तैयार किया जाता है। यहाँ रेस्क्यू सेंटर और रेस्क्यू टीम भी है। चिड़ियाघर एवं सफारी में आने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है, जिनमें विदेशी पर्यटक भी बहुतायत में हैं।(mukundpur white tigar safari)(todayindia)(latest news)(breaking news)(bollywood news)(cricket news)(sports news)(political news)



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