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विदेश की धरती पर राहुल गांधी की अमर्यादित टिप्पणी से देश की जनता का अपमान : चौहान

13/09/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री नंदकुमारसिंह चौहान ने कहा कि घरेलु विफलताओं, गलतियों की चर्चा विदेशी धरती पर सार्वजनिक रूप से नहीं करने की राष्ट्र की प्रतिष्ठा में मान्य परंपरा रही है। इसका पालन करना सभी का संवैधानिक और नैतिक कर्त्तव्य है। लोकतंत्र में देश के सबसे विपक्षी दल कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता श्री राहुल गांधी को सत्ता और सरकार की आलोचना का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन विदेश में घरेलु राजनीतिक प्रतिद्वंदिता जनित आलोचना से न तो उन्हें कोई सियासी लाभ मिलने वाला है और न वोट ही बढ़ने वाला है। श्री राहुल गांधी ने अमेरिका के वर्कले में यूनिवर्सिटी आफ केलीफोर्निया के छात्रों के बीच अपनी कुंठा व्यक्त की है, उससे देश की जनता का ही अपमान हुआ है।
उन्होंने कहा कि श्री राहुल गांधी ने कांग्रेस में वंश परंपरा और कांग्रेस के मदमस्त होकर दंभ व्यक्त करने की बात स्वीकार की लेकिन वे यह भी भूल गए कि जिस 2014 में कांग्रेस को घमंडी, अहंकारी होने की बात की उस समय कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष थी। फिर यह टिप्पणी और किसी पर नहीं श्रीमती सोनिया गांधी पर बैठती है। उन्होंने जिस तरह दलितों पर अत्याचार, राजनैतिक ध्रुवीकरण और मांसाहार की बात की यह सीधे सीधे देश को बदनाम करने की श्रेणी में आता है और राष्ट्र के प्रति द्रोह की भावना ही प्रकट करता है।
श्री चौहान ने कहा कि इस देश में सत्ता के माने हुए आलोचकों ने भी कभी राष्ट्रहित में विदेश की धरती पर कभी मान्य स्वस्थ परंपराओं का खंडन नहीं किया जिस तरह श्री राहुल गांधी ने किया है। उन्होंने स्वयं अपनी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से तुलना करके अपना बौनापन दिखा दिया है। ऐसे कितने मौके आए जब विदेशों में भारतीय सत्ता के आलोचकों को घेरने की कोशिश की गयी लेकिन वे राष्ट्रीय प्रतिबद्धता पर अटल रहे और देश का नाम रोशन किया। उन्होंने कहा कि श्री रामनाथ गोयनका नेहरू गांधी परिवार के प्रखर आलोचक थे, लेकिन जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी को कुशल प्रशासक बताकर कहा था कि उनके हाथ में देश सुरक्षित है। गोयनका ने उनकी मुक्त कंठ से सराहना की थी। बाद में उन्होंने अपने मित्रों से कहा था कि हम घर में आलोचक है लेकिन विदेश की धरती पर मातृभूमि की नाक नीची नहीं कर सकते। विदेश में हम उनके प्रशंसक ही हो सकते है, आलोचना घरेलु मामला है।

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