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मोदी की दृढ़ता के कारण चीनी राष्ट्रपति को पीछे हटना पड़ा : लुणावत

06/09/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री विजेश लुणावत ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा दांव लगाया कि चीन के राष्ट्रपति सकते में आ गए। श्री मोदी ने संकेत दिया कि यदि डोकलाम का गतिरोध कायम रखने पर चीन अड़ा रहा तो वे ब्रिक्स सम्मेलन में नहीं पहुंचेगे। ब्रिक्स के संविधान में प्रावधान है कि जब ब्रिक्स के पांचों सदस्य उपस्थित रहेंगे तभी अधिवेशन की कार्यवाही चल सकेगी। भारत ब्रिक्स का वजनदार सदस्य है। यदि ब्रिक्स समिट में श्री नरेन्द्र मोदी नहीं पहुँचते तो शी जिनपिंग को अगले बार राष्ट्रपति बनने का अवसर गंवाना पड़ता। अगले माह कम्युनिस्ट पार्टी का महाअधिवेशन होने वाला है और इसमें शी जिनपिंग के रिपोर्ट कार्ड पर विचार होना है।
उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के महाअधिवेशन में ही राष्ट्रपति के दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के भविष्य का फैसला है। यदि ब्रिक्स श्री नरेन्द्र मोदी की अहम मौजूदगी में बेरौनक हो जाता तो शी जिनपिंग के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जाता। शी जिनपिंग ने श्री मोदी की दृढ़ता के कारण डोकलाम से अपनी फौज हटाने का आदेश दे दिया।
श्री लुणावत ने कहा कि ब्रिक्स के पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने एडवाईजरी भेजी कि आतंकवाद का मुद्दा ब्रिक्स में न उठाया जाए। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने टका सा जवाब दे दिया कि हमारा एजेंडा तय करने वाला दूसरा देश कैसे हो सकता है ? श्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स के सदस्य देशों, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को आतंकवाद के बारे में विश्वास में लिया और शी जिनपिंग का यह आग्रह भी स्वीकार कर लिया कि इसमें चीन के सहयोगी पाकिस्तान का नाम नहीं आयेगा, लेकिन ब्रिक्स में शियामेन घोषणा पत्र में जिन आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है वे सभी पाकिस्तान की उपज और पाकिस्तान से संरक्षण प्राप्त है। मजे की यह है कि शियोमन घोषणा पत्र जिसमें चीन के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर है। पाकिस्तान की आतंकवादी भूमिका पर सोलह बार जिक्र किया गया है। विश्व स्तर पर पाकिस्तान की नीतियों पर यह कड़ा प्रहार है।

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