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वतन परस्ती से बड़ा कोई भी मजहब नहीं है- डॉ. सनव्वर पटैल

30/07/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटैल ने राष्ट्रगान वंदेमातरम् का विरोध करने वाले भ्रमित लोगों को आईना दिखाते हुए कहा कि दुनिया में वतन परस्ती से बड़ा कोई मजहब नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस वतन परस्ती ने रसखान को घर-घर में पहुचा दिया उनकी यही पंक्तिया कंठ हार वनी कि’’ मानुष हों तो बसौ नित नंद के द्वारे’’। यह एक मुसलमान संत कवि का जन्मभूमि के प्रति समर्पण का चरम है।
उन्होंने कहा कि वंदेमातरम गायन की जिद न तो किसी राजनैतिक दल की अनुषंसा है और न थोपा गया विषय है। यह राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति और प्रकटीकरण है। मद्रास उच्च न्यायालय का नीतिपरक निर्णय है। इसका विरोध न तो तर्क संगत है और न उस मातृभूमि के प्रति इन्साफ है जिसका अन्नजल खा पीकर हम परवरिश पा रहे हैं.
डॉ. सनव्वर पटैल ने कहा कि वतन परस्ती का विरोध करने वाले यह भी समझलें कि वंदेमातरम ईश की वंदना भी नहीं है। यह तो मादरेवतन के प्रति इस्तकबाल है जो हर मुसलमान को इस्लामियत का पैगाम देता है कि जिसका कुछ लिया है उसे अदा करो तभी जन्नत रसीद होगी। उन्होंने कहा कि इसी मादरेवतन ने हमे जीने की आजादी दी है। ये वह गीत और अल्फाज हैं जिसके जुंबा पर आंते ही मुल्क के लिए फना हो जाने का जज्बा पैदा हो जाता है। इसी गान के लब्ज जुंबा पर लाते हुए हजारो-लाखों जवानों ने अपनी जिन्दगी फना कर दी और गुलामी की जंजीरों से जकडे़ मुल्क को आजाद कराया। अंग्रेजो को छक्के छुड़ा दिये।
उन्होंने कहा कि आजादी दिलाने वाली पीढ़ी अस्ताचल की ओर बढ़ चुकी है और हम आजादी का लुफ्त ले रहे हंै। लेकिन कितने दुख की बात है कि हमने आजादी की लड़ाई देखी सुनी नही है इसलिये आजादी की कद्र करना भी नहीं सीखा। आजादी की कद्र करने वाले न तो वदेमातरम् का विरोध कर सकते हैं और न राष्ट्रीय प्रतीको के प्रति इस तरह अनादर की भावना व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने आल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन लीग के विधायक वारिस पठान से गुजारिष की है कि वे समाज में नफरत फैलाने से बाज आयें। उन्होंने वारिस पठान से कहा कि लोकतंत्र में न्याय व्यवस्था सर्वोच्च है और न्यायालय का सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है इसलिये मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करें।

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