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चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से अंचल की औद्योगिक, वाणिज्यिक और कृषि विकास की संभावनाएं धरातल पर उतरेगी- सांसद नंदकुमार सिंह चौहान

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद  नंदकुमारसिंह चौहान ने कहा कि चंबल अंचल में चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से इस क्षेत्र की औद्योगिक, वाणिज्यिक और कृषि विकास की संभावनाएं धरातल पर उतरने से दस्यु उत्पात उन्मुक्त क्षेत्र में विकास का नया युग आयेगा। चंबल एक्सप्रेस-वे श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों के 113 गांवों को जोड़ती हुई उत्तरप्रदेश के इटावा होकर गुजरेगी। इस क्षेत्र की धरती उर्वर क्षेत्र है जो जल्दी पानी के रिसाव से वीहड़ों में तब्दील हो जाती है। वीहड़ों को रोकने के लिए चंबल एक्सप्रेस-वे पेरीफेरल बांध का काम करेगी जिससे एक ओर राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में सड़क यातायात सरल सुगम बनायेगी, वहीं बांध के रूप में भूमि संरक्षण का कार्य भी करेगी।
उन्होंने कहा कि इस एक्सप्रेस-वे का उपयोग राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक एक दो और तीन के यातायात को जयपुर, अहमदाबाद की दूरी कम करने में सहायक होगा। इसकी शुरूआत सवाई माधोपुर के पाली से निकलने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 से होगी। वहीं से मध्यप्रदेश के दूरस्थ श्योपुर जिले से प्रवेश करेगा। चंबल एक्सप्रेस-वे मुरैना, भिंड होता हुआ इटावा से राष्ट्रीय राजमार्ग 92 से जुड़ जायेगा।
श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि चंबल एक्सप्रेस-वे की 300 कि.मी. में से 250 कि.मी. लंबाई चंबल संभाग मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना और भिण्ड जिलों में होगी। इस अंचल में 4 लाख हेक्टर धरती विकास की राह जोह रही है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से ये संभावनाएं मूर्त रूप लेगी।
उन्होंने कहा कि चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए मध्यप्रदेश सरकार और क्षेत्रीय सांसद (केंद्रीय मंत्री) श्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य के पूर्व मंत्री सांसद श्री अनूप मिश्रा की पहल कारगर सिद्ध हुई है। जिनके प्रयास से केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इसे आनन-फानन में स्वीकृति प्रदान कर क्षेत्रीय विकास में उत्पेरक की भूमिका अदा की है। क्षेत्रीय जनता इनके प्रति आभारी होगी।

नरेन्द्र मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी बहुआयामी बनी- मनोहर ऊटवाल
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री और सांसद श्री मनोहर ऊटवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी से जहा पड़ौसी देशों के बीच मैत्री संबंधों में प्रगाढ़ता आयी है वहीं पाकिस्तान दक्षिण एशिया, एशियाई उपग्रह जी सेट-9 सौगात से वंचित हो गया है। वैश्विक राजनीति में यह प्रधानमंत्री की विलक्षण कूटनीति बनी है। इस कूटनीति से जहां भारत का पड़ौसी देशों में दबदबा कायम हुआ है वहीं पाकिस्तान सार्क देशों में अलग-थलग पड़ गया है। नेपाल में संपन्न सार्क देशों के सम्मेलन में ही श्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्पेस लांच करने की घोषणा की थी। सभी देशों ने जहां उपग्रह से जुड़ने की इच्छा जाहिर की थी। पाकिस्तान का रवैय्या नकारात्मक था।
ऊटवाल ने बताया कि जीसेट-9 उपग्रह भूस्थिथिक संचार उपग्रह है। इससे दूरसंचार, टेलीविजन, डीटीएम, वीसेट, टेली एजुकेशन, टेलीमेडीसिन क्षमताएं हैं। भूकम्प, चक्रवात, बाढ़ सुनामी जैसी आपदाओं के बेहतर प्रबंधन में यह सहायक होगा। श्री ऊटवाल ने कहा कि अपने राष्ट्र का हित चिंतन के लिये राजनेता कूटनीतिक पहल करते हैं। इससे राजनेताओं की कुशाग्रता साबित होती है। सत्तर के दशक में तत्कालीन विदेश मंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने चीन यात्रा कर तोती मिशन की शुरूआत की थी। इसके बाद चीन ने भारत का मिजाज परखने के लिए खिलाड़ी भेजकर पिंग-पांग डिप्लोमेसी आजमाई थी। अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री की सिंगर अपनी कूटनीति के लिए दुनिया में विख्यात हुए थे। शांति, मैत्री स्थापना ही सकारात्मक पहल की कूटनीति को स्थायित्व प्रदान करती है। इस दिशा में उपग्रह कूटनीति करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व राजनीति में नया आयाम जोड़ा है।

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