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5 मार्च 2021/ जन्म-दिवस पर विशेष
‍शिवराज सिंह चौहान : जिनके हर कार्यकाल में मिला है विकास को नया आयाम
Happy Birtrhday Shivrajsingh chouhan,madhyapradesh ki khas khabren,mpnews,madhyapradesh news,madhyapradesh ke samachar,ShivrajSinghChouhan,shivrajsingh chouhan,mpcm,chiefminister of madhyapradesh,todayindia,todayindia news,today india news in hindi,Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood24,today india news,today indiaश्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में अलग पहचान स्थापित करने में सफल रहे हैं। उन्होंने इस पद की गरिमा को बढ़ाया है। आज अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश के अग्रणी रहने का श्रेय उन्हें दिया जा सकता है। वास्तविकता यह है कि मध्यप्रदेश और श्री शिवराज सिंह चौहान एक-दूसरे की पहचान बन गए हैं। मध्यप्रदेश के गठन के बाद जनता के कल्याण के लिए सबसे अधिक अवधि के मुख्यमंत्री ही नहीं जनता के मुख्यमंत्री के तौर पर श्री चौहान की छवि बनी है। उन्होंने हर कार्यकाल में यादगार कार्य किए हैं, जिनसे विकास के नए-नए आयाम सामने आए हैं।

मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ दशक से श्री चौहान सबसे अधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। इसके पीछे उनका कठोर परिश्रम, स्व-अनुशासन, परोपकार का भाव, करूणा से ओत-प्रोत व्यक्तित्व और राग-द्वेष के बिना हर तबके की भलाई के लिए तेजी से कार्य करने की विशिष्ट शैली प्रमुख है। उनका जन्म सीहोर जिले के ग्राम जैत में 5 मार्च 1959 को हुआ। नर्मदा मैया के किनारे गाँव होने से वे अच्छे तैराक भी बन गए। स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानने के कारण खेलों में रूचि और स्वस्थ रहने के प्रति सजगता के कारण ऊर्जा से भरपूर भी रहे। कुछ वर्ष ग्राम में बचपन बिताने के बाद उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए भोपाल आ गए थे। यहाँ विद्यालय और महाविद्यालय में छात्र परिषद के पदाधिकारी भी बने। इसके पहले उनकी अपने गांव के मजदूरों को उचित मजदूरी दिलवाने के लिए चार मित्रों के साथ नारेबाजी और रैली से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरूआत हो गई थी।

साहित्य अध्ययन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गीता, रामायण और धर्म-ग्रंथों के साथ ही राष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों की जीवनियाँ पढ़ीं। युवावस्था में इस उत्कृष्ट साहित्य के पठन-पाठन से उनके लेखन और भाषण शैली का विकास हुआ। उन्होंने अपनी मौलिक चिंतन और कार्य-शैली भी विकसित की। आज भी वे प्रतिदिन एक घंटा साहित्य अध्ययन को देते हैं। उन्होंने अपने निवास में एक पुस्तकालय भी बनाया है।

जन-कल्याण और जनता से जुड़ाव

श्री शिवराज चौहान के लिए सामाजिक और राजनैतिक संगठन उपयोगी मंच बने। इन संगठनों को उनकी नेतृत्व क्षमता से बल मिला। प्रत्येक दायित्व को निष्ठा से निभाते हुए वे संगठन और समाज में अलग पहचान बनाने में सफल हुए। इसके फलस्वरूप उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए वर्ष 1990 में निर्वाचित होने का अवसर मिला। उन्होंने इसके पश्चात वर्ष दर वर्ष निरंतर जन-कल्याण के अभियान को गति दी। विधायक के रूप में, सांसद के रूप में, मुख्यमंत्री के रूप में हर कार्यकाल में अपनी अमिट छाप छोड़ी। जब वर्ष 1991 के आखिरी महीनों में अटल जी ने विदिशा, रायसेन संसदीय क्षेत्र से त्यागपत्र दिया तो श्री चौहान को सांसद बनने का अवसर मिला। श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रत्येक हैसियत से कार्य करते हुए अभावग्रस्त परिवारों की सहायता, गरीब परिवारों की कन्याओं के विवाह, बच्चों के शिक्षा के प्रबंध, बुर्जुगों की देखभाल और समाज के प्रत्येक वर्ग से सीधा जुड़ाव रखते हुए अपनी लोकप्रियता को निरंतर बढ़ाया है।

राष्ट्रीय फलक पर कार्य से मिला अनुकूल परिवेश

श्री शिवराज सिंह चौहान पाँच बार सांसद निर्वाचित हुए। नई दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं के सम्पर्क के साथ ही प्रमुख समाजशास्त्रियों, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों, विचारकों, चिंतकों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उनके सम्पर्क और संबंध विकसित हुए। ऐसे सकारात्मक और उत्साही व्यक्तियों के साथ विचार-विमर्श में भी शामिल रहे हैं। इससे उनके व्यक्तित्व को नए आयाम मिले हैं।

कर्मशील होने का लाभ

श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं अध्ययनशील, मननशील और कर्मशील होने की वजह से अपने संकल्प आसानी से साकार कर लेते हैं। वे जो सोचते हैं, उसे पूर्ण करने के लिए उन्हें बस इतने ही प्रयत्न करने होते हैं कि कार्य की शुरूआत से कार्य के पूर्ण होने के मध्य निरंतर अनुश्रवण का कार्य करना होता है। उदाहरण के तौर पर मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उन्होंने वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही प्रयत्न प्रारंभ किए। मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों के विकास की व्यापक संभावनाओं को साकार करने के लिए उद्योगपतियों से सतत सम्पर्क आवश्यक था। इसके लिए की गईं इन्वेस्टर्स समिटस बहुत लाभकारी सिद्ध हुईं। मध्यप्रदेश में न सिर्फ नया निवेश आया बल्कि लाखों नौजवानों को रोजगार भी मिला। प्रदेश की प्रतिभा का पलायन भी रूका। उद्योगों के विकास से सम्पूर्ण अधोसंरचना के विकास का कार्य आसान हुआ और प्रदेश की तस्वीर को बदलने में सफलता मिली।

हर कार्यकाल है विशेष

मुख्यमंत्री के रूप में श्री चौहान के विभिन्न कार्यकालों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि प्रथम कार्यकाल उन्होंने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, विद्यार्थियों को विद्यालय जाने के‍लिए सायकिल प्रदाय जैसे कल्याणकारी कार्य प्रारंभ किये। बुनियादी क्षेत्रों में सुविधाएँ बढ़ाने की ठोस पहल की गई। श्री चौहान का मुख्यमंत्री पद का पहला कार्यकाल तीन वर्ष का था। द्वितीय और तृतीय कार्यकाल पाँच-पाँच वर्ष के रहे। इन दस वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास के नये आयाम छुए।

सुशासन और सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में कामयाबी

जहाँ तक वर्ष 2020 के मार्च माह में मध्यप्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री के बाद व्यतीत एक वर्ष का प्रश्न है, यह बहुत महत्वपूर्ण वर्ष रहा। न सिर्फ मध्यप्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश और विश्व के लिए भी। कोरोना महामारी ने पैर फैलाए। ऐसे संकट के समय नेतृत्व की परीक्षा होती है। बहुत से राजनेता ऐसी विकराल समस्या की कल्पना मात्र से घबरा जाते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस साहस से इस महामारी के दौर में आवश्यक फैसले लिए, उसका ही प्रतिरूप श्री शिवराज सिंह चौहान भी बने। महामारी के नियंत्रण, संक्रमित लोगों के उपचार, महामारी से बचने के लिए उपयोगी उपायों पर अमल, भावी कार्ययोजना और मनोवैज्ञानिक रूप से नागरिकों को संबल प्रदान करना बहुत मायने रखता है। सूचना प्रौद्योगिकी के भरपूर इस्तेमाल से नागरिकों का हित संवर्धन सुनिश्चित किया गया। यह बहुत संतोष का विषय है कि श्री चौहान ने स्वयं न घबराते हुए कोरोना संकट को समाधान में बदलने का प्रयास किया। आपदा को अवसर में बदला। अनेक वर्गों के लिए सरकार का खजाना खोल दिया। कई तरह की राहत दी गईं। किसानों, विद्यार्थियों और श्रमिकों को योजनाओं का पैसा ऑनलाइन अंतरित किया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दृढ़ इरादों का परिचय दिया। उनका संकल्प एक-एक नागरिक की जीवन-रक्षा करने और लड़खड़ाई अर्थ-व्यवस्था को संभालने का था। इन कार्यों के लिए जिस मजबूत संकल्प की आवश्यता थी,‍उसका परिचय शिवराज जी ने दिया। जहाँ राशि की व्यवस्था नहीं थी, वहाँ उपायों पर क्रियान्वयन करते हुए रास्ता निकाला। सुशासन की सोच ने इन प्रयासों को सफल बनाया।

किस कार्यकाल में किन क्षेत्रों पर रहा फोकस

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हर पारी जी जान से खेली है। वे मुख्यमंत्री के पद को सेवा का माध्यम मानते हैं। श्री चौहान जब विधायक और सांसद थे, उन 15-16 सालों और मुख्यमंत्री के रूप में 14 सालों को जोड़ें तो उनके जन-कल्याणकारी कार्यों की लंबी फेहरिस्त बन जाएगी। यदि सिर्फ मुख्यमंत्री के कार्यकाल की चर्चा करें तो यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आती है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बुनियादी क्षेत्रों के विकास को सदैव केन्द्र में रखा है। जहाँ श्री चौहान ने प्रथम कार्यकाल में सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी, वहीं द्वितीय कार्यकाल में सिंचाई बढ़ाने का कार्य प्रमुखता से किया गया। इसके पश्चात तृतीय कार्यकाल में विद्युत उत्पादन बढ़ाने और उसके सुचारु प्रदाय पर ध्यान दिया गया। मार्च 2020 से प्रारंभ कार्यकाल में श्री चौहान ने स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल की सुविधाएँ तेजी से बढ़ाने का निश्चय किया है। इसके क्रियान्वयन की शुरूआत भी कर दी गई है।
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