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उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक केवल शबरीमला तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य धर्मों में भी ऐसी प्रथा है। न्यायालय ने इस संबंध में सभी पुनर्विचार याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंप दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह पीठ शबरीमला और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश तथा दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना की प्रथा से जुड़े इस प्रकार के सभी धार्मिक मामलों पर निर्णय लेगी।(todayindia)(shabri mala)
देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में न्यायूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा की पीठ ने यह फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता का प्रयास धर्म और आस्था पर दोबारा बहस करना है।
उच्चतम न्यायालय ने सितम्बर 2018 में एक के मुकाबले चार न्यायाधीशों की राय से केरल में प्रसिद्ध अयप्पा मंदिर में दस से पचास साल आयु की महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। न्यायालय ने सदियों पुरानी इस कुरीति को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था।(todayindia)(shabri mala)
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