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लूट की बंदरबांट में जुटी पूरी सरकार, जनता के जीवन की किसी को चिंता नहीं: राकेश सिंह

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी का शुरू से यह कहना रहा है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार भारी अंतर्विरोधों और भ्रष्टाचार से घिरी हुई है। अब तो ये अंतर्विरोध और भ्रष्टाचार के मामले इस कदर उजागर होते जा रहे हैं कि इनसे निपटने और इन्हें पाटने में ही सरकार का सारा समय और ऊर्जा खर्च हो रहे हैं। इस कारण से प्रदेश की जनता के लिए सामान्य जीवन यापन भी मुश्किल होता जा रहा है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने मंत्री डॉ. गोविंद सिंह द्वारा खुद को ‘घेरे जाने’ एवं ‘असहाय’ बताए जाने संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।

प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने कहा कि अवैध उत्खनन को लेकर कांग्रेस में जिस तरह के वार और पलटवार हो रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि पिछले आठ महीनों से कांग्रेस की सरकार सिर्फ लूट के माल की बंदरबांट में ही लगी रही है । पहले ट्रांसफर उद्योग में प्रशासनिक अमले को लूटा और अब अवैध खनन के कारोबार में कांग्रेस के नुमाइंदे लगे हुए हैं। इसमें कुछ छुपा नहीं है क्योंकि प्रदेश के मंत्री और विधायक ही यह सारे मामले उजागर कर रहे हैं । इस लूट में व्यस्त होने के कारण प्रदेश की जनता से सरकार का कोई लेना-देना नहीं रहा। उन्होंने कहा कि सरकार के एक मंत्री और कुछ विधायकों द्वारा एक दूसरे पर कीचड़ उछाले जाने से कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई है। यह साफ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस के ये गुट सिर्फ राजनीतिक प्रभाव के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी जेबें भरने के लिए भी अपनी गुटीय ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं।

श्री राकेश सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री होने के नाते जनता के सामने यह साफ करना चाहिए कि किसके इशारे पर मंत्री डॉ. गोविंद सिंह को ‘घेरा’ जा रहा है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनकी सरकार का एक वरिष्ठ मंत्री क्यों खुद को असहाय महसूस कर रहा है। साथ ही यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि विधायकों ने मंत्री गोविंद सिंह पर जो आरोप लगाए हैं उनकी वस्तुस्थिति क्या है ? क्यों मंत्री के क्षेत्र में अवैध खनन के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री गोविंद सिंह के इस आरोप का भी कोई जवाब अभी तक नहीं दिया है कि अवैध खनन का पैसा उनकी सरकार में ऊपर तक जाता है, तो किसके पास जाता है? मध्यप्रदेश में तो मुख्यमंत्री से ऊपर कोई नहीं है, तो क्या उससे ऊपर भी कहीं जाता है यह प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है।




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