पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली(arun jaitley) का शनिवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। उन्होंने दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली। किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके जेटली को कैंसर हो गया था। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल जाना था। नौ अगस्त को सांस लेने में आ ही दिक्कत के बाद 66 साल के जेटली एम्स में भर्ती कराया गया था। खराब स्वास्थ्य के कारण ही जेटली ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेटली के बेटे और पत्नी से बात की और शोक जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा कि उन्होंने सबसे मूल्यवान मित्र खो दिया। पीएम मोदी ने कहा- ‘भाजपा और अरुण जेटली जी का अटूट बंधन था। एक उग्र छात्र नेता के रूप में, वह आपातकाल के दौरान हमारे लोकतंत्र की रक्षा करने में सबसे आगे थे। वह हमारी पार्टी का एक बहुत पसंद किया जाने वाला चेहरा बन गए।’
Amit shah tweet
अरुण जेटली जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूँ, जेटली जी का जाना मेरे लिये एक व्यक्तिगत क्षति है।
उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षो तक प्राप्त होता रहा।
इनका जन्म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली के मशहूर वकील महाराज किशन जेटली के घर हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। 1973 में इन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और लॉ की पढ़ाई करने के लिए 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की उपाधि प्राप्त कर ली।
1974 में अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। 1975 में आपातकाल के दौरान आपातकाल का विरोध करने के बाद उन्हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया। 1973 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण और राजनारायण द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्होंने ही देश में नोटबंदी और GST लागू करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
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