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प्रदेशवासियों के साथ ‘‘आधिकारिक धोखा’’ है कमलनाथ सरकार का बजट : राकेश सिंह

किसानों, युवाओं और गरीबों को धोखा देने का दुस्साहस कांग्रेस सरकारें ही कर सकती हैं
भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पहले ही बजट में आधिकारिक रूप से प्रदेश की जनता को धोखा दे दिया है। कमलनाथ सरकार ने कांग्रेस के वचन पत्र को भी पूरी तरह फर्जी साबित कर दिया है। जनकल्याण की योजनाओं पर चुप्पी और किसानों के कर्ज माफी के लिए मात्र आठ हजार करोड़ का प्रावधान और युवाओं को बेरोजगारी भत्ते पर
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गोलमाल यह बताता है कि कमलनाथ सरकार किस प्रकार के कपट के साथ प्रदेश को चलाना चाहती है। सच तो यह है कि कमलनाथ सरकार का पहला बजट कांग्रेस की झूठ और भ्रम की राजनीति का ही विस्तार है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने कमलनाथ सरकार द्वारा बुधवार को विधानसभा में प्रस्तुत किए गए बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लगभग 48000 करोड़ के कर्ज में दबे किसान की कर्ज माफी के लिए मात्र 8000 करोड का प्रावधान एक स्वीकारोक्ति है कि कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव के वक्त किए गए वादे पूरे करने का उसका कोई इरादा नहीं है।
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सरकार ने किसानों को छला

प्रदेश अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले किसानों से कर्जमाफी का वादा करके उन्हें छला, अब इस वादे को निभाने की बात कहकर बाजीगरी दिखा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्जमाफी के मद में भले ही 8000 करोड़ का प्रावधान किया है, लेकिन यह कहीं नहीं बताया कि इसमें से बैंकों को कितनी राशि दी जाएगी। इसी तरह सरकार ने पहले भी कर्जमाफी के लिए 5000 करोड़ का प्रावधान किया था, लेकिन कर्जमाफी के लिए बैंकों को सिर्फ 1400 करोड़ रुपए दिए गए थे। श्री सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार किसानों को गेहूं पर 160 रुपए बोनस देकर अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि भाजपा की शिवराज सरकार ने किसानों को गेहूं पर 265 रुपए का बोनस दिया है। यदि कमलनाथ सरकार किसानों की हितैषी है, तो उसे भी इतना ही बोनस देना चाहिए, ताकि प्रदेश के किसानों को गेहूं का समर्थन मूल्य 2100 रुपए प्रति क्विंटल मिल सके।
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बेरोजगारों युवाओं को दिखाया झुनझुना

प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले बेरोजगारी भत्ते का वादा करके युवाओं को धोखा दिया था। अब इस बजट में भी युवाओं को सिर्फ झुनझुना दिखाया है। सरकार ने निजी क्षेत्र में 70 प्रतिशत नौकरियां प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षित करने की बात कही है, लेकिन नौकरियां है कहां? श्री सिंह ने कहा कि सरकार पहले युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करे, उसके बिना आरक्षण का कोई मतलब ही नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार प्रदेश के लोगों के सामने यह स्वीकार करे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव से पहले मेड इन भोपाल मोबाइल चार्जर और मेड इन चित्रकूट चप्पल की लुभावनी बातें कहकर प्रदेश के भोले-भाले युवाओं को जो सपने दिखाए थे, उन्हें कांग्रेस की इस सरकार ने पार्टी अध्यक्ष के साथ ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

सत्र से पहले कर लगाकर किया विधानसभा का अपमान

श्री सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार पूरी बेशर्मी के साथ यह बात कह रही है कि बजट में कोई नया कर नहीं लगाया, जबकि इस सरकार ने विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ाया है, जिसके कारण प्रदेश के लोगों पर आर्थिक भार पड़ रहा है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा विधानसभा सत्र से ऐन पहले इस तरह कर लगाना विधानसभा और चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान है। श्री सिंह ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि सरकार ने कोई नया कर नहीं लगाया, सरकार पहले ही शराब दुकानों, बार-अहातों की लायसेंस फीस और करों में वृद्धि करके अपनी आमदनी का इंतजाम कर चुकी है।

सिर्फ आंकड़ों का ढिंढोरा पीट रही सरकार

प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने कहा कि सरकार ने अपने बजट प्रस्ताव में सिर्फ आंकड़ों का ढिंढोरा पीटा है, इन प्रस्तावों को पढ़कर जो सवाल खड़े होते हैं उनका कोई समाधान प्रस्तुत नहीं किया है। उदाहरण के लिए सरकार ने सहकारी बैंकों की अंशपूंजी के लिए 1000 करोड़ का प्रावधान किया है। लेकिन सरकार पहले ही कर्जमाफी के लिए राशि लेकर सहकारी बैंकों की कमर तोड़ चुकी है। सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि वह भविष्य में कर्जमाफी के वादे को पूरा करने के लिए सहकारी बैंकों का गला नहीं दबाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे अनिश्चितता वाले माहौल में इस प्रावधान का कोई लाभ नहीं है।

कमजोर वर्गों के साथ धोखा

श्री सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा समाज के कमजोर वर्गों के लिए शुरू की गई संबल योजना को पहले ही बंद कर दिया था, अब बजट में भी इस वर्ग के लोगों के साथ धोखा किया है। सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों द्वारा वित्त निगम से लिए गए 1 लाख तक के कर्ज माफ करने की बात कही है, लेकिन इसकी प्रक्रिया भी किसान कर्जमाफी की तरह अस्पष्ट है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार बताए कि कमजोर वर्गों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए उसने क्या और कितना प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने पिछड़े वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए 961 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, जबकि इस सरकार ने पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण को मिलाकर 821 करोड़ का ही प्रावधान किया है।

कल्याणकारी योजनाओं को बंद किया

श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई संबल योजना, दीनदयाल रसोई योजना, मेधावी छात्रवृत्ति योजना जैसी लोकप्रिय और जनकल्याणकारी योजनाओं को रोक दिया है। वहीं, राज्य बीमारी सहायता योजना जैसी लोककल्याणकारी योजना के बारे में बजट में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि ये सभी योजनाएं समाज से सीधे तौर पर जुड़ी हुई थीं और इनका प्रभाव समाज का हर वर्ग महसूस करता था। लेकिन बजट पर इन योजनाओं के बारे में सरकार की चुप्पी बताती है कि उसे जनता के सुख-दुख से कोई सरोकार नहीं है।

बजट में नहीं दिखी उदारता

श्री सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार जिस उदारता के साथ जनउपयोगी सुविधाओं, विकास और कल्याणकारी योजनाओं के मामले में उदारता दिखाती थी, कमलनाथ सरकार के बजट में वह उदारता कहीं दिखाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 2018 के बजट में मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना के लिए 350 करोड़ का प्रावधान किया था, इस सरकार ने 309 करोड़ का ही प्रावधान किया है। भाजपा सरकार ने स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए 700 करोड़ का प्रावधान किया था, इस सरकार ने 300 करोड़ का ही प्रावधान किया है। सिंचाई परियोजनाओं के लिए भाजपा सरकार ने 10928 करोड़ का प्रावधान किया था, कमलनाथ सरकार ने 6877 करोड़ का ही प्रावधान किया है। बिजली कटौती से त्रस्त जनता को कोई राहत न देते हुए कमलनाथ सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए 9888 करोड़ का ही प्रावधान किया है, जबकि भाजपा की सरकार ने इस क्षेत्र के लिए दोगुना यानी 18 हजार, 72 करोड़ का प्रावधान किया था।

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