विश्व कप 2019 में सुरक्षा बलों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर एमएस धोनी विवादों में फंस गए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बुधवार को अपने पहले मैच में माही ने सेना के चिन्ह वाले विकेटकीपिंग गलव्स पहने थे। अब ICC ने इस बारे में सीधे BCCI से बात की है।
क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था ICC ने बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया यानी बीसीसीआई से गलव्स पर छपे ‘बलिदान’ को हटवाने की मांग की है। ICC नियमों के मुताबिक किट या कपड़ों पर अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या जातीय जैसी चीजों का संदेश नहीं होना चाहिए।’
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मैच में धोनी के विकेटकीपिंग दस्तानों पर ‘बलिदान बैज’ का चिन्ह उस समय दिखाई दिया जब उन्होंने मैच के 40वें ओवर के दौरान युजवेंद्र चहल की गेंद पर दक्षिणी अफ्रीकी बल्लेबाज एंडिले फेहलुकवायो को स्टंप्स आउट किया था। जिसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर इसकी जमकर सराहना की थी।
भारतीय सेना की एक स्पेशल फोर्सेज की टीम होती है जो आतंकियों से लड़ने और आतंकियों के इलाके में घुसकर उन्हें मारने में दक्ष होती है। मुश्किल ट्रेनिंग और पैराशूट से कूदकर दुश्मन के इलाके में घुसकर दुश्मन को मारने में महारत हासिल करने वाले इन सैनिकों को पैरा कमांडो कहा जाता है।
इन्हीं पैरा कमांडो को एक खास तरह की निशानी/चिन्ह दी जाती है जिसे बलिदान चिन्ह/बैज कहा जाता है। ये बैज उन्हें ही मिलता है जो स्पेशल पैरा फोर्सेज से जुड़े हों।
महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा गया था। उसके बाद साल 2015 में धोनी ने पैरा फोर्सेज के साथ बुनियादी ट्रेनिंग और फिर पैराशूट से कूदने की स्पेशल ट्रेनिंग भी पूरी की जिसके बाद धोनी को पैरा रेजिमेंट में शामिल किया गया और उन्हें ये बैज लगाने की अनुमति दी गई।
यह पहली बार नहीं है जब धोनी ने पैरा फोर्सेज से जुड़ी निशानी को पहना हो, इससे पहले वो IPL के दौरान बलिदान बैज वाले टोपी और फोन के कवर पर इस निशानी को लगाए देखे जा चुके हैं। धोनी अक्सर सेना की टोपी या सेना सी जुड़ी निशानियों को अपने कपड़ों या बैग पर लगाए दिख जाते हैं। वे पहले ही अपने इरादे बताते हुए कह चुके हैं कि क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वो सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं।