मुख्यमंत्री एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति ने किया विक्रमादित्य का न्याय वैचारिक समागम का शुभारंभ
#MohanYadav,#YTshorts,#Shorts,#DrMohanYadav,#CMMadhyaPradesh,#DrMohanYadav51,#mpcm,#madhyapradeshnews,#MadhyaPradesh24,#bhopalnewsसम्राट विक्रमादित्य ने की थी निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
विक्रमादित्य का न्याय था त्वरित और पारदर्शी : मुख्य न्यायाधिपति श्री कैत
भारतीय न्याय व्यावस्था का आरंभ वैदिक काल में हुआ जहाँ सभा और समिति जैसी संस्थाओं के माध्यम से विवादों का निपटारा किया जाता था। सम्राट विक्रमादित्य के समय यह प्रणाली और अधिक सशक्त हुई। हमारे लिए आज भी उनकी न्याय प्रणाली की प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, समय बदल चुका है लेकिन न्याय की अवधारणा वही है जो विक्रमादित्य ने स्थापित की थी। सम्राट विक्रमादित्य ने न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और समान समाज की स्थापना की थी। यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विक्रमादित्य का न्याय वैचारिक समागम के शुभारंभ अवसर पर कही। मुख्य न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैत ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासन व्यवस्था प्रधान था, न कि व्यक्ति प्रधान। विक्रमादित्य का शासन तंत्र न्याय, प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक समरसता पर आधारित था। विक्रमादित्य का शासन एक संगठित और सुव्यवस्थित प्रणाली पर आधारित था। सम्राट विक्रमादित्य का न्याय त्वरित और पारदर्शी था। सम्राट विक्रमादित्य को न्याय और सुशासन का प्रतीक भी माना जाता है तथा आज भी सम्राट विक्रमादित्य न्याय की मिसाल दी जाती है।
विक्रमादित्य का न्यायिक वैभव अमर है : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
वैचारिक समागम के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन की धरा वैभव के साथ ही सम्राट विक्रमादित्य जैसे न्यायप्रिय की भी जन्मदायनी है। उज्जैन एक समय तक ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति, न्याय, सुशासन, व्यापार, व्यवसाय का एक सर्वमान्य केन्द्र रहा है। सभ्यता और संस्कृति की जन्म भूमि भारत अनादि काल से ही अत्यंत वैभवशाली राष्ट्र है।
भारत की उर्वरा भूमि ने पृथ्वीराज चौहान, राणा सांगा, सम्राट अशोक, महाराजा प्रताप, छत्रपति शिवाजी जैसे अनगिनत वीरों का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय जिस वीर को जाता है, वे है उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य। विक्रमादित्य ने जो अदम्य पराक्रम दिखाया वह किसी के बस की बात नहीं। गणतंत्र की स्थापना का श्रेय सम्राट विक्रमादित्य को है। उन्होंने जो दान दिया वह आज तक किसी ने नहीं दिया। उनका नाम सदैव अमर रहेगा। सम्राट विक्रमादित्यका न्यायिक वैभव इतिहास में अमर है। भारत का इतिहास न्यास के आदर्शों से परिपूर्ण है। हम सभी ने सिंहासन बत्तीसी में बत्तीस पुतलियों के माध्यम से विक्रमादित्य के न्यायिक वैभव को पढ़ा और सुना है। वह संपूर्ण भारतीय जनमानस में आज भी एक प्रेरक कथा के रूप में जीवित है। विक्रमादित्य के शासन में न्याय केवल एक विधिक प्रक्रिया नहीं था बल्कि यह समाज के सामाजिक और नैतिक दायित्वों को भी ध्यान में रखते हुए एक सशक्त प्रणाली थी, जो समाज को न्याय और सदाचार की दिशा में अग्रसर करती थी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में न्याय व्यवस्था और सुशासन के लिये नवरत्नों का गठन किया गया था। राजा इन्हीं नवरत्नों के परामर्श से न्याय और प्रशासन करता था। सम्राट विक्रमादित्य के राज्य में बेताल कोई प्रेत नहीं थे, बल्कि न्यायविद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वर्ष के अंदर प्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया जायेगा।
शक्ति का उपयोग समाज कल्याण में हो: जस्टिस श्री कैत
मुख्य न्यायाधिपति श्री कैत ने कहा कि पद की शक्ति का उपयोग हमेशा समाज कल्याण, समाज हित में करना चाहिए। न्याय केवल दंड देने का माध्यम नहीं बल्कि समाज में नैतिकता और सामाजिक संतुलन बनाने के लिए होना चाहिए। हमारी वर्तमान न्याय प्रणाली प्राचीन न्याय प्रणाली पर ही आधारित है। उन्होंने वर्तमान में न्यायाधीशों की कमी की बात करते हुए कहा कि आज देश में लाखों प्रकरण न्यायालयों में लंबित है, इसका सबसे बड़ा कारण है न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी। अकेले मध्यप्रदेश में लगभग चार लाख चौसठ हजार प्रकरण लंबित है। वर्तमान में 53 न्यायाधीशों की व्यवस्था है लेकिन सिर्फ 34 न्यायाधीश ही प्रकरणों का निराकरण कर रहे है और शेष पद रिक्त है। उन्होंने कहा कि हमने राज्य और केंद्र सरकार को 85 न्यायधीशों की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है।
इसके पहले श्री श्रीराम तिवारी, निदेशक, विक्रमादित्य शोधपीठ, श्री नरेश शर्मा, अध्यक्ष, शिप्रा लोक संस्कृति समिति एवं प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरू, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। श्री राजेश कुमार गुप्ता, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उज्जैन श्री अशोक यादव, अध्यक्ष, जिला अभिभाषक संघ श्री रविन्द्र सिंह कुशवाह, संयोजक एवं शासकीय अभिभाषक द्वारा मुख्य न्यायाधिपति, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय श्री सुरेश कुमार कैत, का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। डॉ. प्रकाश विटनेरकर, अध्यक्ष, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर प्रेस काउंसिल, एडवोकेट प्रखर पुराणिक, सह संयोजक, शोध संगोष्ठी एवं डॉ. अजय शर्मा, सह संयोजक, शोध संगोष्ठी द्वारा न्यायमूर्ति, म.प्र. उच्च न्यायालय, खण्डपीठ ग्वालियर श्री अनिल वर्मा का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने श्री राजेश कुमार गुप्ता स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। सत्र का संचालन श्री चन्द्रेश मण्डलोई, जिला विधिक सहायता अधिकारी, उज्जैन ने किया।
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