• Wed. Dec 25th, 2024

वन समितियों में सहकार से समृद्धि के खुलेंगे द्वार : मंत्री सारंग

वन समितियों में सहकार से समृद्धि के खुलेंगे द्वार : मंत्री सारंग
vishvassarang,vansamiti,vanmelabhopalप्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव, भारतीय समाज की सभ्यता एवं विरासत : आयुष मंत्री श्री परमार
अंतर्राष्ट्रीय वन मेला-2024 का हुआ समापन

खेल एवं युवा कल्याण, सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेला वनों, वन उत्पादों के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के साथ ही दूरस्थ अंचलों के ग्रामीणों को सतत आजीविका के साधन उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण मंच है। वन मेले से लघु वनोपजों के संग्रहण एवं विक्रय के नये अवसर मिलते हैं, जो विक्रय श्रृंखला के निर्माण में सहायक होते हैं। मेले में वैद्यों द्वारा आयुर्वेद का ज्ञान देने के साथ वन से प्राप्त जड़ी-बूटियों को प्रदर्शित किया जाता है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ ज्ञान एवं व्यवहार अद्भुत एवं आश्चर्यजनक रहा है। उन्होंने सहकार से समृद्धि के साथ संस्कार से सहकार की बात कही। मंत्री श्री सारंग लाल परेड ग्राउण्ड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

मंत्री श्री सारंग ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेले को और अधिक भव्यता प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि वनोपज के संग्रहण और विक्रय में समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वनांचलों में रहने वालों के सशक्तिकरण के लिये सहकार अत्यंत आवश्यक है। इससे ही वनों में रहने वालों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को सशक्त बनाने के लिये सहकार आंदोलन चलाया जायेगा। सहकार आंदोलन से सशक्त समाज का निर्माण होता है। मंत्री श्री सारंग ने अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के सफल आयोजन पर बधाई दी।

उच्च शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव, भारतीय समाज की सभ्यता एवं विरासत है। मंत्री श्री परमार ने कहा कि वन मेला भारतीय सम्पदा, सभ्यता एवं ज्ञान परम्परा को निरंतर आगे बढ़ाने के संकल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वन मेला का उद्देश्य मात्र प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन पद्धति का व्यापक दृष्टिकोण है। आयुर्वेद भारत की पुरातन चिकित्सा पद्धति है, जो वन औषधियों पर आधारित है। हमारे देश में कृषि के बाद बड़ी आबादी आजीविका के लिये वनोपज पर ही निर्भर है। उनका उद्देश्य वनोपज का दोहन नहीं, बल्कि अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग के साथ वनों का संरक्षण करना भी है।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि हमारे पूर्वज वनस्पती का महत्व जानते थे, इसलिये प्रकृति के संरक्षण के भाव से परम्परा एवं मान्यताएँ स्थापित कीं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के अंग नदी, पेड़, पहाड़ एवं सूर्य आदि समस्त के प्रति कृतज्ञता का भाव इनके संरक्षण एवं लोक कल्याण निहित हैं। मंत्री श्री परमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद का आगे बढ़ाने का संकल्प जन-आंदोलन बन रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय आयुर्वेद का है।

मंत्री द्वय ने वन मेले में वनोपज एवं वन औषधियों के विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया। उन्होंने वनोपज संघ की स्मारिका “व्यापार एवं विकास’’ एवं ईको-टूरिज्म की “अनुभूति’’ पुस्तिका का विमोचन किया। अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में उत्कृष्ट प्रदर्शनी, जिला यूनियन, शासकीय एवं निजी स्टॉल, वन-धन केन्द्र एवं आयुर्वेदिक महाविद्यालयों के स्टॉल के उत्कर्ष प्रदर्शन के लिये प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।

मंत्री श्री सारंग, मंत्री श्री परमार और भोपाल नगर निगम मेयर श्रीमती मालती राय को स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री असीम श्रीवास्तव, प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ श्री विभाष कुमार ठाकुर, विभागीय अधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
============================================
वन समितियों में सहकार से समृद्धि के खुलेंगे द्वार : मंत्री सारंग
vishvassarang,vansamiti

 

 

aum

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *