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विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया
@DrSJaishankar,UNO

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने कहा कि अब वे दिन नहीं रहे हैं, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और बाकी देशों से उनके अनुरूप चलने की उम्मीद की जाती थी। आज न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की आम बैठक में वक्तव्य देते हुए डॉ. जयशंकर ने बल देकर कहा कि आम सहमति बनाना अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाना चाहिए और इसके लिए प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों ही आवश्‍यक है।

विदेश मंत्री ने स्‍पष्‍ट कहा कि विश्‍व को वैक्सीन जैसे भेदभावपूर्ण अन्याय को दोबारा नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण कार्रवाई के लिए भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से बचा नहीं जा सकता। डॉ. जयशंकर ने आगे कहा कि भोजन और ऊर्जा को जरूरतमंदों से अमीरों तक पहुंचाने के लिए ही बाज़ार की शक्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार प्रतिक्रियाएं निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। विदेश मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और घरेलू मामलों में हस्तक्षेप का इस्तेमाल अपनी सुविधा अनुसार नहीं किया जा सकता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता असाधारण जिम्मेदारी की भावना के साथ संभाली। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत की एक पृथ्‍वी, एक कुटुम्‍ब, एक भविष्‍य की परिकल्‍पना में कुछ देशों के संकीर्ण हितों के बजाय अनेक देशों की मुख्‍य चिंताओं पर ध्‍यान दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि वृद्धि और विकास सबसे वंचितों पर केन्द्रित होनी चाहिए, इसलिए भारत ने सम्‍मेलन में जी20 की अध्‍यक्षता में अल्‍पविकसित और विकासशील देशों की आवाज को उठाया और जिन मुद्दों पर वैश्विक ध्‍यान दिए जाने की जरूरत थी, उनको उचित रूप से सुना भी गया।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय जब पूर्व पश्चिम ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण विभाजन गहराया हुआ है, उस समय में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कूटनीति और बातचीत ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था विविधतापूर्ण है, इसलिए दुनिया को आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखना चाहिए, न कि मतभेदों को। उन्होंने कहा कि जी20 विचार-विमर्श से सामने आए परिणाम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है।

डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाना चाहिए और इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए कि व्यापक प्रतिनिधित्व के लिए प्रभावशीलता और विश्वसनीयता प्रमुख शर्त है। उन्होंने कहा कि दुनिया असाधारण उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है और भविष्य की राह देखना कठिन लग रहा है। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक असमानताओं और असमान विकास ने अल्‍पविकसित देशों पर बोझ डाला है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के प्रभाव और चल रहे संघर्षों, तनावों और विवादों के कारण तनाव बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप, हाल के वर्षों के सामाजिक-आर्थिक लाभों में कमी आई है और सतत विकास के लिए उपलब्‍ध संसाधनों के सामने गंभीर चुनौती है। कई देश अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने साझेदारों के साथ सहयोग को महत्‍व देता है। उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्षता के युग में, भारत अब ‘विश्व मित्र यानी दुनिया का मित्र’ बन चुका है। उन्होंने कहा कि भारत की क्षमता और इच्छा में यह दिखाई देता है कि विभिन्न देशों के साथ संबंध और जहां आवश्यक हो, वहां हितों में सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश रहती है। विदेश मंत्री ने बताया कि यह क्वाड के समूह में तेजी से विकास में और ब्रिक्स समूह के विस्तार या I 2U2 में भी स्पष्ट दिखाई देता है।
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विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया
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