12/7/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री गजेन्द्रसिंह पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार ने अपनी जमीन के 10 लाख रूपए मूल्य तक के पेड़ काटने का अधिकार देकर वनवासियों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त बना दिया है। पूर्व में आदिवासी किसान को अपनी भूमि पर उगाए 1 लाख रूपए मूल्य दरख्त काटने की अनुमति मिलती थी। सागौन जैसी प्रजाति के पेड़ एक साथ उगाने से उनकी बाढ़ एक साथ होती है, लेकिन टुकड़ों-टुकड़ों में अनुमति मिलने से उसे वर्षो तक इंतजार करना पड़ता रहा है। आदेश में केन्द्र सरकार ने संशोधन करके आदिवासियों का सशक्तिकरण किया है।
उन्होंने कहा कि आदिकाल से आदिवासियों की जीवन यात्रा वनोपज पर निर्भर रही और वे वनों के सहचर रहे लेकिन वनों को सरकार के अधिकार में ले लिए जाने के बाद लंबे संघर्ष के बाद भारतीय जनता पार्टी ने वनोपज पर आदिवासी वनवासियों का हक सुनिश्चित कर उनके अधिकार बहाल किए। मध्यप्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से विशेष अनुशंसा और पहल कर काश्तकार की जमीन पर खड़ी इमारती लकड़ी काटने का अधिकार बहाल कराया लेकिन यह एक लाख मूल्य की लकड़ी काटने तक सीमित कर दिया गया। जबकि पेड़ एक साथ बढ़ते है। अब दिल्ली में एनडीए सरकार ने आदिवासियों के हित में एक लाख के बजाए अब दस लाख रूपए मूल्य तक के वृक्ष काटने की अनुमति देकर दोहरा लक्ष्य पूरा किया है। जहां आदिवासी काश्तकारों को माली लाभ पहंुचेगा वही वृक्षों की काश्त करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।
श्री पटेल ने कहा कि वन संपदा के उगाने, उनका संरक्षण करने में वनवासियों की ऐतिहासिक भूमिका रही है लेकिन इन्हें ही वन सुविधा के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। इसी संदर्भ में श्री अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने वनभूमि पर पुश्तैनी अधिकार रखने वाले वनवासियों को हक देने पर विचार हुआ और कानून बनाया गया। अब उन्हें वनभूमि का अधिकार पत्र देने का अभियान भी आरंभ हुआ है। इस कार्य में भी मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। प्रदेश में वनवासियों को वनभूमि पर पट्टे देने के साथ कृषि विकास के लिए आर्थिक मदद भी दी जा रही है।