• Fri. Mar 29th, 2024

आज की पीढ़ी को आपातकाल के काले दौर की प्रजातंत्र विरोधी गतिविधियों के सच की जानकारी देना आवश्यक

भोपाल : मंगलवार, जून 27, 2017
देश में आपातकाल का दौर इतिहास का वो काला अध्याय है जिसे आज भी याद कर उस समय की गई प्रजातंत्र विरोधी गतिविधियों के सच की जानकारी आज की पीढ़ी को मिलती है। संस्कृति विभाग की निराला सृजनपीठ द्वारा आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता तथा संचार विश्वविद्यालय के सभागार में हुए ‘प्रसंग आपातकाल” में विभिन्न वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किए। जून 1975 में लगाए गए आपातकाल के संबंध में वक्ताओं ने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन और प्रेस सेंसरशिप के उस दौर की आज भी भर्त्सना की जाती है।

निराला सृजनपीठ के निदेशक डॉ. देवेन्द्र दीपक ने बताया कि मध्यप्रदेश में भी आपातकाल पर केन्द्रित साहित्यिक पत्रिकाएँ, काव्य संग्रह आदि प्रकाशित हुए हैं। इस विषय पर लिखा गया नाटक ‘भूगोल राजा का : खगोल राजा का” भी आपातकाल के हालातों को सामने लाता है।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा ने जानकारी दी कि देश में आपातकाल की अवधि में 253 पत्रकार को नजरबंद अथवा गिरफ्तार किया गया। इनमें मध्यप्रदेश के सर्वाधिक 59 पत्रकार शामिल थे। पत्रकार वर्ग ने आपातकाल की अवधि में पूरे साहस का परिचय दिया और उस कठिन दौर में जनता का मनोबल बनाए रखा। श्री आहूजा ने आपातकाल के दौरान प्रेस सेंसरशिप के अंतर्गत लिए गए मामलों की जानकारी भी दी।

कार्यक्रम में विमर्श सत्र ‘आपातकाल और साहित्य” में श्री तपन भौमिक, मध्यप्रदेश अध्यक्ष पर्यटन विकास निगम के विशेष आतिथ्य में श्री अरूण कुमार भगत, कर्नल नारायण पारवानी और वरिष्ठ पत्रकार श्री आरिफ अज़ीज़ ने हिस्सा लिया। श्री भगत ने बताया कि आपातकाल पर रचे गए कथा और काव्य साहित्य का संकलन किया गया है।

 

 

aum

Leave a Reply

Your email address will not be published.