16/06/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि पिछले दिनों तक बैंको से कर्ज लेने वाले छोटे और बड़े उपभोक्ता कर्जदारों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं जारी रही है। किसान हजार रू. बकाया रहने पर बैंक के कोप का शिकार होता है और उद्योगपति अरबों रू. हजम करते है, तथा सरकार उस राशि को डूबन्त खाते में डालकर नान परफार्मिंग असेट घोषित करती आयी है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने कर्जदारों के लिए दोहरे मापदंड की इन व्यवस्था को समाप्त कर बड़े घरानों पर 8 लाख करोड़ रू. के कर्ज की वसूली के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया को सशक्त बनानें के लिए कानून में संशोधन कर दिया है। इससे जो भी बड़े उद्योग घराने, उद्योगपतियों पर करोड़ों रू. कर्ज बकाया है, उन्हें बैंकरप्सी कानून में दिवालिया घोषित कर उनकी संपत्ति का हस्तातंरण कर वसूली का अधिकार बैंको को मिल जायेगा। इस संशोधन विधेयक ने कर्जदार उद्योगपतियों की नींद हराम की है। कुछ ने तो स्वयं के वेतन का आहरण न करने का ऐलान भी कर दिया है तथा कर्ज भुगतान की मंशा जाहिर करने लगे है।
उन्होनें कहा कि 8 लाख करोड़ रू. बकाया कर्ज राशि में से 1.75 लाख करोड़ कर्ज राशि सिर्फ 12 ऐसे बकायादारों पर है जो भुगतान नहीं कर रहे है और रकम दबा कर बैठ गये है। रिजर्व बैंक के नियमों में गोपनीयता का जो प्रावधान था, उससे छूट के लिए मंजूरी दे दी गयी है। बकायादारों की सूची तैयार कर ली गयी है। रिजर्व बैंक की इंटरनल एडवायजरी कमेटी की अनुशंसा के बाद मामले नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश होंगे। 6 माह के अंदर कार्यवाही होने की आशा है। यदि 12 बकायादारों से वसूली संभव होती है तो एनपीए का चैथाई अंश वसूल हो जायेगा।
श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि एनडीए सरकार द्वारा किये जा रहे असरदार प्रयास इस बात का ठोस सबूत है कि समाज के सभी तबकों के लिए समान कानून है। इससे जनता का कानून पर भरोसा बढ़ रहा है। उन्होनें कहा कि जिन राजनैतिक दलों की सरकारों ने एनपीए को फलने-फूलने का मौका दिया वही आज मोदी सरकार पर अमीर परस्ती का आरोप लगा रहे है। लेकिन एनडीए सरकार की इस क्रांतिकारी पहल ने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार गरीब परस्त सरकार है, अमीर तो सरकार के निशाने पर है।