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दायित्व बोध के लिए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देगी रामभाऊ प्रबोधिनी- डॉ. सहस्रबुद्धे

Byaum

May 22, 2017

भोपाल।22/05/2017
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश संगठन प्रभारी और रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने आज पलाश होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनविश्वास कायम रखने के लिए जनप्रतिनिधि किस तरह जनसरोकार के दायित्व बोध से संपन्न हो इसके लिए प्रशिक्षण का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में भी इसकी आवश्यकता महसूस हुई है। भारत में 35 वर्ष पूर्व इस दिशा में एक सकारात्मक पहल मुंबई में रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्था के रूप में हुई है। आज यहां प्रशिक्षण की आवश्यकता बढ़ी है और पाठ्यक्रमों की संख्या का विस्तार हुआ है। उन्होंने देश में सकारात्मक पर्यावरण के विकास के लिए युवा अब सामाजिक राजनैतिक क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रहे है। इस दिशा में आरंभ किए जा रहे लीडरशिप पालिटिस एंड गर्वेनेंस पाठ्यक्रम से पत्रकारों को विस्तार से परिचित कराया।

डॉ. सहस्रबुद्धे ने बताया कि रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी अपने संस्थान के केन्द्र के रूप में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ डेमोके्रटिक लीडरशिप के तारतम्य में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम लीडरशिप पालिटिस एंड गवर्नेंस शुरू होने जा रहा है। जनतांत्रिक विकास में इसकी आवश्यकता है। डॉ. सहस्रबुद्धे ने रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्थान की उल्लेखनीय प्रगति से पत्रकारों को अवगत कराते हुए बताया कि हर वर्ष मुंबई स्थित संस्थान में 6000 आगन्तुकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विचारधारा अलग अलग होती है, लेकिन सभी दलों के जनसरोकार के विषय समान होने से सभी दल यहां प्रशिक्षण में भाग लेते है। उन्होंने निज सहायकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि निज सहायक नेता, प्रशासक की छवि बनाने में बड़ी भूमिका का निर्वाह करता है। गत वर्षो में संस्था में प्रशिक्षण की मांग बढ़ी है।

उन्होंने बताया कि नेतृत्व विकास का पांच दिन का संक्षिप्त कार्यक्रम बनाया है। प्रबंधन भी एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सरोकार का दायरा बड़ा है। पति पत्नि में भी सरोकार का अपना मनोविज्ञान है और समानता का मुद्दा असर डालता है। नेतृत्व साधना पाठ्यक्रम के आठ से अधिक संस्करण हो चुके है। उन्होंने बताया कि भारत में जनतांत्रिक व्यवस्था एक पुरातन परंपरा है। इसका आधार आध्यामिक जनतंत्र से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक लीडरशिप में अनेक गुणों का समावेश हो तभी सफलता चरण चूमती है। इसके लिए सहिष्णुता, मतभेदों के बावजूद सहमति, मतभेदों के बाद भी सहनशीलता परस्पर विश्वास जरूरी है।

डॉ. सहस्रबुद्धे ने कहा कि आकांक्षावान भारत उभरते हुए भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए बहुमुखी क्षमता का विकास आवश्यकता है। इसमें प्रशिक्षण पूरक होता है। आपने पत्रकारों को रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्थान के अपने केन्द्र इंडियन इंस्टीट्यूट आफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप के तत्वावधान में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन लीडरशिप पालिटिक्स एंड गवर्नेंस के शुभारंभ की भी जानकारी दी।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डाॅ. हितेष वाजपेयी, प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री लोकेन्द्र पाराशर उपस्थित थे।

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