भोपाल : शुक्रवार, मई 12, 2017
न्यूनतम जल से अधिकतम सिंचाई लेने की पहल करते हुए नर्मदा घाटी विकास विभाग भावी सिंचाई योजनाओं को माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं के रूप में निर्मित करेगा। बाँध सिंचाई परियोजनाओं में नहर प्रणाली के निर्माण में भूमि अधिग्रहण में आने वाली समस्याओं और नहर सिंचाई में होने वाले जल के अपव्यय और भूमि के दल-दल बनने की स्थितियों से निजात पाते हुए माइक्रो सिंचाई योजनाएँ नर्मदा घाटी के उन क्षेत्रों को भी सिंचित करेगी जहाँ ग्रेविटी से पानी ले जाना सम्भव नहीं है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की परियोजनाओं की समीक्षा में आज यह जानकारी दी गई। अध्यक्षता नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लाल सिंह आर्य ने की।
राज्य मंत्री श्री आर्य ने प्रस्तावित 15 माइक्रो सिंचाई योजनाओं की जानकारी लेते हुए कहा कि कम समय में लाभ देने वाली इन योजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूरा करने के सभी प्रयास किये जायें। श्री आर्य ने नर्मदा सेवा मिशन के अंतर्गत प्राधिकरण द्वारा निर्माण के लिये प्रस्तावित नर्मदा किनारे के घाटों की जानकारी भी ली। श्री आर्य ने बाँध परियोजनाओं से संबंधित विस्थापन और पुनर्वास कार्यों के साथ ही विशेष रूप से सरदार सरोवर परियोजना की डूब से प्रभावित मध्यप्रदेश के अलीराजपुर, धार, खरगोन और बड़वानी जिलों में पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष श्री रजनीश वैश ने बताया कि नर्मदा घाटी की निर्मित और निर्माणाधीन परियोजनाओं से अब तक 9 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित कर ली गई है। निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाओं को पूर्ण कर 21 लाख 37 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित करने का लक्ष्य है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने बताया कि पुनर्वास कार्यों की मासिक कार्य-योजना तैयार कर कार्य किया जा रहा है। बैठक में प्राधिकरण के सदस्य तथा वृहद परियोजनाओं के मुख्य अभियन्ता उपस्थित थे।