भोपाल : गुरूवार, मई 11, 2017
भारत माता की आन-बान और शान के खातिर अपना तन-मन न्यौछावर करने वाले हमारे अमर शहीद इस दुनिया को तो अलविदा कह जाते हैं, लेकिन हम सबके दिलों में हमेशा के लिये अपनी कीर्ति-गाथाएँ, अपनी यादों की अमिट छाप छोड़ जाते हैं। इसके साथ कुछ और भी छोड़कर जाते हैं, वह शहीद जिसका एहसास हम में से कुछ लोगों को ही शायद कभी-कभी होता होगा या फिर शहीद के परिजन को होता है।
एक वीर बलिदानी अपने पीछे छोड़ जाता है जीवन की दुरुहता झेलता, भरण-पोषण के लिये जूझता परिवार, जिसमें कहीं बिलखती बूढ़ी माँ, तो कहीं अपने बुढ़ापे की लाठी, अपने दिल के टुकड़े की विरह पीड़ा से घुटता-टूटता पिता या फिर शून्य में टकटकी लगाये एकटक निहारती प्रतीक्षारत विधवा पत्नी की ऑखें, उसकी गोद में बिलखती शहीद पति की अंतिम निशानी, मासूम बालक जो पिता की छत्र-छाया से वंचित जीवन जीने की तैयारी में होता है। भाई की मदद के लिये तैयार और बहन की डोली उठाने का हकदार मजबूत कंधा छीन लेती है युद्ध की विभीषिका और इसी मार्मिक दास्तान को पिरोया गया फिल्म ‘फॉर देम” (For Them) में, जिसका प्रदर्शन शौर्य-स्मारक के मुक्ताकाश मंच पर स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा किया गया। फिल्म शहीद सैनिकों के कल्याण एवं पुनर्वास पर केन्द्रित है और हमें अपने पुनीत, नैतिक कर्त्तव्य का बोध करवाती है, जो शहीदों के परिजन की मदद के लिये अपेक्षित है। भारत सरकार के फिल्म्स डिवीजन के लिये इस फिल्म का निर्माण श्री मुशीर अहमद ने किया एवं पटकथा और निर्देशन श्री ओम प्रकाश का है।
आज होगा ‘ए क्रेडल फॉर लीडरशिप” का प्रदर्शन
‘ए क्रेडल फॉर लीडरशिप” (A Cradle For Leadership) शुक्रवार को प्रदर्शित होगी। इसमें देख पायेंगे कि कैसे अपने देश के शूरवीरों को कुशल प्रशिक्षण दिया जाकर उन्हें तैयार किया जाता है भारत माँ की रक्षा के लिये। फिल्म की पटकथा एवं निर्देशन श्री कृष्ण कुमार गर्ग ने किया है।