भोपाल : गुरूवार, मई 11, 2017
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गेहलोत ने उनके द्वारा मीसाबंदी की सम्मान निधि को गलत तथ्यों के आधार पर लेने के समाचार को भ्रामक और छबि खराब करने वाला बताया है।
श्री गेहलोत ने कहा कि वे आपातकाल के दौरान उज्जैन जेल में कुल 54 दिन निरूद्ध रहे थे। उन्हें दिनांक 14 नवम्बर 1975 को जेल में निरूद्ध किया गया था और जिला दण्डाधिकारी, उज्जैन के आदेश क्रमांक क्यू/स्टेनो/76/1111 दिनांक 6 जनवरी, 1976 के पालन में जेल से मीसा से रिहा किया गया। श्री गेहलोत के अनुसार यह अवधि 54 दिनों की है। इस बात की पुष्टि उनके साथ जेल में निरूद्ध रहे श्री जगदीश शर्मा और अन्य एक दर्जन से ज्यादा व्यक्तियों से की जा सकती है।
श्री गेहलोत ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 20 जून, 2008 के मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में आपातकाल दिनांक 25 जून, 1975 से मार्च, 1977 की कालावधि में मध्यप्रदेश के राजनैतिक या सामाजिक कारणों से मीसा/डीआरआई के अधीन निरूद्ध व्यक्तियों को सहायता देने के नियम प्रकाशित किये गये हैं। लोकनायक जयप्रकाश नारायण (मीसा/डीआरआई राजनैतिक या सामाजिक कारणों से निरूद्ध व्यक्ति) सम्मान निधि नियम 2008 की पात्रता श्रेणी में एक माह से अधिक किन्तु छह माह से कम अवधि के लिए निरूद्ध व्यक्तियों को रूपये 3000/- प्रतिमाह और 6 माह या उससे अधिक के लिए निरूद्ध व्यक्तियों को रूपये 6000/- प्रतिमाह देने का स्पष्ट उल्लेख है।
श्री गेहलोत ने स्पष्ट किया कि चूँकि वे एक माह से अधिक अर्थात् 54 दिन उज्जैन जेल में आपातकाल में निरूद्ध रहे, इसलिये उन्हें सम्मान निधि प्राप्त करने की पात्रता है।
श्री गेहलोत ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे राजनैतिक-सार्वजनिक जीवन में न कोई गलत कार्य किया है और न करेंगे। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को आधारहीन और साजिशाना बताते हुए कहा कि यह उनकी छबि धूमिल करने का कुछ लोगों का प्रयास है। श्री गेहलोत ने कहा कि उज्जैन के माधवनगर थाने में इस संबंध में कोई शिकायत हुई है। शिकायत पर जिला और पुलिस प्रशासन कार्रवाई करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनसे पुलिस और जिला प्रशासन ने कोई सम्पर्क नहीं किया है।