भोपाल : मंगलवार, मई 9, 2017
नर्मदा नदी को सदानीरा रखने के लिये कानूनी प्रावधान की व्यवस्था की जा रही है। नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक में सभी प्रकार के उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया जायेगा। युकेलिप्टस के पेड़ों के स्थान पर बरगद, पीपल, साल, नीम जैसे पौधे लगाये जायेंगे, जो वर्षा ऋतु में अधिक जल अवशोषित कर सकें और वर्षा के बाद धीरे-धीरे उसे नदी में छोड़े। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यह बात अनूपपुर जिले के ग्राम खेतगाँव में ‘नमामि देवि नर्मदे”-सेवा यात्रा के जन-संवाद में कही।
जन-संवाद में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, प्रदेश के वन मंत्री श्री गौरी शंकर शेजवार, फिल्म अभिनेत्री सुश्री पद्मिनी कोल्हापुरे, प्रख्यात नृत्यांगना सुश्री सोनल मान सिंह, फिल्म अभिनेता श्री रजा मुराद, फैजाबाद की कलाकार सुश्री वंदना मिश्रा, मुम्बई के सामाजिक कार्यकर्ता श्री वीरेन्द्र याग्निक, प्रख्यात रामकथा वाचक सुश्री मंदाकिनी दीदी, साध्वी सुश्री प्रज्ञा भारती, बीकानेर के संत स्वामी सोमगिरी, विधायक श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री शिव चौबे, जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय सहित विभिन्न जन-प्रतिनिधि मौजूद थे।
जैविक खाद पर रसायनिक खाद के समान अनुदान दिया जायेगा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा तटों पर बसे ग्रामों में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जायेगा तथा जैविक खाद पर भी रासायनिक खाद के समान अनुदान देने की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि नदी, पर्यावरण और जल को बचाना हर नागरिक का कर्त्तव्य है। प्रदेश की अन्य नदियों को बचाने के लिए भी अगले वर्ष से अभियान चलाये जायेंगे। नर्मदा के किनारे ऐसे पेड़ और घास लगायी जायेंगी जो अधिक यात्रा में जल अवशोषित कर सकें। नर्मदा यात्रा के महत्व को सभी वर्गों के लोगों ने समझा है तथा नदी संरक्षण के इस अभियान को अपना पूर्ण समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल नदी संरक्षण के कानून बनाने से यात्रा का उद्देश्य पूरा नहीं होगा जब तक सामान्य-जन की उसमें प्रत्यक्ष भागीदारी न हो।
नर्मदा उदगम स्थल को प्रदूषणमुक्त बनाने का कार्य शुरू
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अमरकंटक मे नर्मदा के उद्गम स्थल को पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त बनाने की कार्य-योजना पर अमल शुरू हो गया है। अमरकंटक बायोस्फियर जोन में औषधि प्रजाति के वृक्ष लगाने का काम भी किया जायेगा।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर पर कहा कि गंगा एवं नर्मदा जैसी नदियों से ही भारत को विश्व गुरू कहा जाता है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित 312 नव-दम्पत्तियों को उनके भावी जीवन के लिए शुभकामना दी। श्री रावत ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को नदी संरक्षण के लिए चलाये गये विश्व के सबसे बड़े अभियान ‘नमामि देवी नर्मदे’ के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के कारण ही मध्यप्रदेश की कृषि उत्पादन वृद्धि दर देश में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि इतने बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की व्यस्तताओं के बावजूद श्री शिवराज सिंह चौहान ने न केवल नदी संरक्षण का व्यापक अभियान प्रारंभ किया बल्कि गत 5 माह से लगभग हर दिन इस यात्रा में वे शामिल हो रहे हैं, जो अत्यंत सराहनीय है। श्री रावत ने कहा कि हमारे पूर्वज हमें पवित्र व सदानीरा नदियाँ विरासत में दे गये थे और हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या प्रदूषित नदियाँ विरासत में देंगे? उन्होंने कहा कि नदियाँ तो हर देश में होती हैं, लेकिन केवल भारत में ही नदियों की पूजा की जाती है। श्री रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रारंभ किए गए इस ‘नमामि देवि नर्मदे’ अभियान को प्रकृति का भी आशीर्वाद मिल रहा है। यही कारण है कि आज मई माह की भीषण गर्मी में भी तेज धूप नहीं है, बल्कि हल्की फुहार से ग्रामीणजन आनंदित हो रहे हैं।
श्री अनिल माधव दवे
केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि नदियों को प्रदूषणमुक्त बनाने का दायित्व देश व प्रदेश के हर नागरिक का है। उन्होंने सभी से अपील की कि नदियों के आसपास गंदगी न करें। यदि कोई गंदगी करता पाया जाये तो उसका सख्ती से विरोध करें। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे जितने अधिक वृक्ष होंगे, नदियों का जल-स्तर उतना ही अधिक रहेगा। अतः सभी को आवश्यक रूप से नदियों के किनारे और अपने घरों के आस-पास पौधे लगाकर उनकी नियमित देखभाल भी करनी चाहिए।
श्री अर्जुन राम मेघवाल
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि बढ़ते औद्योगीकरण के कारण वनों की कटाई अधिक होने से पर्यावरण को काफी क्षति हो चुकी है। आज जरूरत है अधिक से अधिक वृक्षारोपण की। नर्मदा सेवा यात्रा प्रदेश और देश के नागरिकों को नदी एवं पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करने का बहुत अच्छा माध्यम बन गई है। उन्होंने कहा कि नदी संरक्षण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सही समय पर प्रारंभ किया है। यदि हम अभी पर्यावरण और नदी संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के बेहतर जल-प्रबंधन के कारण ही प्रदेश का कृषि उत्पादन देश में सर्वाधिक है।
अनूपपुर जिले के खेतगांव में मुख्यमंत्री श्री चौहान के आगमन से ठीक पहले काफी तेज हवाएँ चल रहीं थीं। हल्की बूंदा-बांदी होने से नर्मदा सेवा यात्री और ग्रामीणजन चिंतित थे। ग्रामीणों को लग रहा था कि ऐसे मौसम में मुख्यमंत्री और अन्य अतिथि वायु मार्ग से कैसे आ सकेंगे। इस सबके बावजूद खेतगांव में मुख्यमंत्री श्री चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री रावत और अन्य विशिष्टजन का आगमन होने से ग्रामीणजन हर्षित हुए और कार्यक्रम सफलता से संपन्न हुआ।