भोपाल : गुरूवार, दिसम्बर 1, 2016
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 144 दिवसीय ‘नमामि देवि नर्मदे’ नर्मदा सेवा यात्रा 2016 पूरे विश्व को नदियों के संरक्षण का संदेश देगी। यह पर्यावरणीय चेतना जाग्रत करने का अनूठा जन-अभियान होगा।
श्री चौहान आज यहाँ प्रशासन अकादमी में नर्मदा सेवा यात्रा 2016 की कार्य-योजना तय करने के लिये बुलाई गई राज्य-स्तरीय आयोजन समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में यात्रा से सीधे जुडे़ 16 जिलों के प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक, संभागायुक्त, कलेक्टर उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि नर्मदा सेवा यात्रा अमरकंटक से 11 दिसम्बर से शुरू हो रही है। यात्रा का समापन 11 मई को अमरकंटक में होगा। इसी दिन नर्मदा सेवा समितियों का सम्मेलन भी होगा। मुख्यमंत्री ने यात्रा को सफल बनाने के लिये बनाई गई कार्य-योजना को अंतिम रूप दिया। सभी जिलों में यात्रा दिनांक और यात्रा चलने के दिन तय कर दिये गये हैं। यह यात्रा 3344 किलोमीटर की होगी, जिसमें से 1909 किलोमीटर पद यात्रा होगी। इस यात्रा में 51 विकासखंड और 1104 मजरे-टोले आयेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा मध्यप्रदेश को जीवन देती है इसलिये नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि नर्मदा के लिये अपने कर्त्तव्यों का पालन करें। उन्होंने नर्मदा के जीवन को बचाने के लिये स्व-प्रेरणा से इस यात्रा से जुड़ने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि यह पूरे समाज का अभियान बनना चाहिये। संत, समाजसेवी, पर्यावरणविद, अशासकीय संगठन, धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थाएँ यात्रा से जुड़कर इसे जन-आंदोलन का स्वरूप दें।
श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी में जल पेड़ों और पहाड़ों से आता है। इसलिये इसके जीवन के लिये नर्मदा के किनारों पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जायेगा। किसानों को फलदार पौधे लगाने के लिये प्रेरित किया जायेगा और उनमें फल आने तक तीन साल लगातार आर्थिक सहायता दी जायेगी।
श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी में शहरों का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिये ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि नर्मदा किनारे के गाँवों में प्रदूषण फैलने के कारणों के संबंध में भी चर्चा की जायेगी। घाटों की सफाई की जायेगी और नये घाटों का निर्माण भी किया जायेगा। यात्रा के दौरान पर्यावरणीय महत्व के विषयों पर चर्चा के लिये जन-संवाद किया जायेगा। इसके लिये 20 स्थान तय किये गये हैं।
श्री चौहान ने विकास-खंड और ग्राम-पंचायत स्तरीय नर्मदा सेवा समितियाँ शीघ्र गठित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सोसायटी अधिनियम के अंतर्गत गठित ये समितियाँ नर्मदा की सेवा से जुड़ी जमीनी गतिविधियाँ संचालित करेंगी। मुख्यमंत्री ने उप-यात्राओं के संबंध में भी चर्चा करते हुए कहा कि इनका स्वरूप छोटा-बड़ा हो सकता है।
श्री चौहान ने कहा कि यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य के लिये विशेष इंतजाम रखें। यात्रा मार्ग का पहले से अध्ययन कर लें। यात्रा में सिर्फ नर्मदा मैया के चित्र के पुष्पाहार अर्पित होंगे। प्लास्टिक या थर्मोकोल की वस्तुओं पर पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा। मुक्ति धाम बनाने के लिये भी जगह की पहचान की जायेगी ताकि नर्मदा में शव बहाने का चलन बंद हो। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने बताया कि यात्रा में बड़ी संख्या में संत-समुदाय भाग लेगा। समिति के सदस्यों ने यात्रा को प्रभावी और सफल बनाने के लिये सुझाव दिये।
इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष वन मंत्री डॉ. गौरी शंकर शेजवार, जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पांडे, मुख्य सचिव श्री बी. पी. सिंह, अपर मुख्य सचिव योजना श्री दीपक खांडेकर, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अशोक वर्णवाल उपस्थित थे।