4 Aug 2016
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित सार्क आंतरिक/गृह मंत्रियों की सातवीं बैठक को संबोधित किया। उनके वक्तव्य का पाठ इस प्रकार है –
सबसे पहले मैं महामहिम निसार अली खां साहेब को इस बैठक का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई देता हूं। मैं इस अवसर पर इस बैठक की मेजबानी के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा किये गये बेहतरीन प्रबंधों और मुझे तथा मेरे शिष्टमंडल को दिए गए उत्तम आतिथ्य सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं।
दो साल पहले हमारी सरकार के गठन से ही भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात दोहराई है। हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत हमने इस क्षेत्र के अपने भागीदारों के साथ मिलकर अपने लोगों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने और मिलकर काम करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैं इस बैठक में इसी उद्देश्य के साथ आया हूं।
उल्लेखनीय है कि इस मंच के तहत हम पिछली बार नवम्बर, 2014 में काठमांडू में आयोजित 18वें सार्क सम्मेलन से पूर्व मिले थे। उस शिखर सम्मेलन में हमारे नेताओं ने दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत बनाने में प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। सार्क की स्थापना को 30 वर्ष हो चुके हैं। आज हमें पहले की अपेक्षा क्षेत्रीय सहयोग को उस स्तर पर ले जाने की कहीं अधिक जरूरत है, जिसमें हम अपने लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा कर सकें।
इस क्षेत्र के लिए हमारा दृष्टिकोण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18वें शिखर सम्मेलन में व्यक्त किया था, जो व्यापार, निवेश, व्यापक विकास सहयोग, हमारी जनता के मध्य संबंध और सहज जुड़ाव के मजबूत स्तंभों पर निर्भर करता है। हमने उसी के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पहलों को आगे बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि हमने भारत में व्यापार कार्ड योजना लागू की है, जिससे भारत की अपनी यात्राओं के दौरान व्यापार जगत के दिग्गजों को सहायता मिलेगी।
यह महत्वपूर्ण है कि दक्षिण एशियाई माहौल में व्यापक क्षेत्रीय समृद्धि, जुड़ाव और सहयोग अर्जित करने की सभी आवश्यक परिस्थितियां मौजूद हैं, लेकिन इसकी सफलता के लिए हमें अपने प्रयासों को सफल बनाना होगा। हमने बढ़ती हुई चुनौतियों और घटनाओं को देखा है, जिससे हमारे क्षेत्र की शांति और स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है और इससे हमारी शांति को खतरा पैदा हो गया है। दक्षिण एशिया इस त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, जैसा कि हमने अभी हाल ही में पठानकोट, ढाका, काबुल और अन्य स्थानों पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमलों में देखा है। केवल ऐसे आतंकवादी हमलों की कड़े शब्दों में भर्त्सना करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें इस त्रासदी को समाप्त करने के लिए कड़ा संकल्प लेना चाहिए और इस दिशा में गंभीर प्रयास भी किये जाने चाहिए।
यह भी जरूरी है कि आतंकवाद को महिमा मंडित न किया जाए और किसी भी देश द्वारा उसे संरक्षण न दिया जाए। एक देश के आतंकवादी किसी दूसरे देश के लिए शहीद या स्वतंत्रता लडाकू नहीं हो सकते। मैं न केवल भारत या अन्य सार्क सदस्यों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए बोल रहा हूं कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा न दिया जाए। जो देश आतंकवाद को या आतंकवादियों को समर्थन प्रोत्साहन, संरक्षण, सुरक्षित आश्रय या अन्य सहायता उपलब्ध कराता है, उसे अलग-थलग किया जाए। न केवल आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, बल्कि उन व्यक्तियों, संस्थानों या देशों के खिलाफ भी ऐसी ही कड़ी कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है। इससे ही यह सुनिश्चित होगा कि मानवता के खिलाफ आतंकवाद के गंभीर अपराध को बढ़ावा देने में लगी ताकतों से केवल प्रभावी रूप से ही निपटा जा सकता है।
प्रतिबंधित और वांछित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ इच्छा शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और उसे लागू भी किया जाना चाहिए। अगर हमें आतंकवाद से छुटकारा पाना है तो हमें इस बात में विश्वास करना होगा कि अच्छे और बुरे आतंकवादियों में भेद करने के प्रयास कोरा भ्रम फैलाने का प्रयत्न मात्र ही है। किसी भी प्रकार के आतंकवाद को किसी भी आधार पर मदद करना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की किसी भी तरह से मदद करने वालों के खिलाफ तुरंत प्रभावी कार्रवाई किये जाने की जरूरत है, चाहे वो कोई भी हों। मुंबई या पठानकोट जैसे आतंकवादी हमलों के शिकार लोगों को भी तभी न्याय मिलेगा। हमें किसी भी प्रकार के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ हमारी आम लड़ाई में आतंकवाद के खात्मे के लिए सार्क क्षेत्रीय सम्मेलन का कार्यान्वयन और इसके अतिरिक्त प्रोटोकॉल बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इसमें प्रभावी प्रयासों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आतंकवादी वारदात करने वाले मुकदमे और दंड से न बच सकें तथा उनका प्रत्यर्पण हो और उन्हें सजा सुनिश्चित हो सके।
डिजिटल प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के कारण आतंकवाद का खतरा बहुत बढ़ गया है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हमें अपने प्रयासों के तहत साइबर अपराध, आतंकवादियों से उसका संपर्क इत्यादि पर भी ध्यान देना होगा। हमें यह भी प्रयास करना होगा कि सोशल मीडिया और अन्य आधुनिक प्रौद्योगिकी का बेजा इस्तेमाल न हो तथा युवाओं को आतंकवाद की तरफ मोड़ने के प्रयासों को रोका जा सके।
मुझे खुशी है कि सभी सार्क सदस्य देशों ने हमारे इस प्रस्ताव का समर्थन किया है कि नई दिल्ली में 22-23 सितंबर, 2016 से सार्क आतंकवाद विरोधी प्रणाली को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों के उच्च स्तरीय समूह की दूसरी बैठक आयोजित की जाए। मुझे भरोसा है कि आप सभी इससे सहमत होंगे और मैं उम्मीद करता हूं कि बैठक अपने उद्देश्य को प्राप्त करेगी।
मैं अपने गणमान्य सहयोगियों का ध्यान इस तरफ भी आकर्षित करना चाहता हूं कि आपराधिक मामलों में पारस्परिक सहयोग संबंधी सार्क प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया जाए। कुछ सदस्य देश इस प्रस्ताव को अभी स्वीकार नहीं कर रहे हैं जिसके कारण हमें उसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। मैं उन सदस्य देशों से आग्रह करता हूं कि वे अतिशीघ्र उक्त प्रस्ताव को स्वीकार कर लें।
नशीले पदार्थों की तस्करी और उनके दुरुपयोग के कारण भी हमारे सामने गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है जिसका बहुत दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यह ऐसी समस्या है जो सीधे-सीधे संगठित अपराध से जुड़ी है। आज नशीले पदार्थों के व्यापार के जरिये अवैधानिक धनराशि का आवागमन हो रहा है। नशीले पदार्थों की तस्करी के साथ-साथ जाली मुद्रा के प्रसार की समस्या भी गंभीर हो गई है। इसके कारण आतंकवाद पनप रहा है और हमारे क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। नशीले पदार्थों से संबंधित क्षेत्रीय प्रस्तावों के कार्यान्वयन के लिए हम हर संभव सहयोग देने, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए तैयार हैं। इस समय इस बात की भी जरूरत महसूस की जा रही है कि सार्क आतंकवादी अपराध निगरानी डेस्क और सार्क नशीले पदार्थ आपराधिक निगरानी डेस्क को पूरी क्षमता से गतिशील किया जाए।महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के उपायों से सभी देश मजबूत होंगे। यह बहुत प्रासंगिक है कि सार्क ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता दी है, क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी तथा विश्व अर्थव्यवस्था की परिवर्तनशीलता के कारण नये खतरे पैदा हो रहे हैं। भारत में हमने इस संबंध में कई नये कदम उठाए हैं, जिनमें बच्चों के बचाव के लिए ‘ट्रैक चाइल्ड’ राष्ट्रीय पोर्टल और ‘ऑपरेशन स्माइल’ जैसे कदम शामिल हैं। बच्चों के विरुद्ध हिंसा समाप्त करने के लिए दक्षिण एशिया पहल के संबंध में मंत्रिस्तरीय बैठक में हमने अपने अनुभवों को साझा किया था। इसका आयोजन अभी हाल में हमने किया था। हमारे प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे प्रमुख कार्यक्रम को शुरू किया है। यह कार्यक्रम तेजी से विकसित हो रहा है और लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, जीवन और अधिकारिता सुनिश्चित करने की दिशा में बहुत योगदान कर रहा है।
इस मंच से हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ सहयोग पर भी चर्चा की है। इस संबध में मैं उल्लेख करना चाहता हूं कि अधिक पारदर्शिता और सुशासन हमारी नीति की बुनियाद है। मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि हमारी वित्तीय समावेश संबंधी जनधन योजना, विशिष्ट पहचान प्रणाली आधार जैसी विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक प्रणाली और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये हम अपनी सेवाओं में आमूल परिवर्तन कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सार्वजनिक योजनाओं के लाभ मैदानी स्तर तक पहुंचें।
अगले कुछ महीनों में इस क्षेत्र के सभी नेता 19वें सार्क शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद में जमा होंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि हम अपने नेताओं को यह बताने में सक्षम होंगे कि पारस्परिक हितों से संबंधित क्षेत्रों में हमने क्या ठोस प्रगति की है। अध्यक्ष महोदय, यह समय कार्रवाई करने का है।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं आप सबके प्रति और अपने सभी विशिष्ट सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।