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ग्वालियर और ओरछा यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज सूची में शामिल
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बुंदेलखंड की खूबसूरती ओरछा

बुंदेलखंड में स्थित खूबसूरत ओरछा का इतिहास बेहद खास है। ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। ओरछा पूर्ववर्ती बुंदेला राजवंश की 16 वीं शताब्दी की राजधानी है। जिसे राजपूत और मुगल स्थापत्य प्रभावों के एक अनोखे संगम द्वारा परिभाषित किया गया है। यहां कई सारे मंदिर और महल स्थित हैं, जिनकी कोई न कोई पौराणिक कथा है। ओरछा राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है।


प्रदेश का प्रमुख ऐतिहासिक शहर ग्वालियर

मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक नगर और राज्य का प्रमुख शहर है ग्वालियर। 9 वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर विशिष्ट रूप से अपनी निर्मित सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय समुदायों के इंटरफेस पर स्थित है। यह शहर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल कछवाहों तथा सिंधिया की राजधानी रहा है। इनके द्वारा छोड़े गए प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे। सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्ह इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। वहीं, आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है के साथ-साथ जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है। ओरछा और ग्वालियर दोनों की नगरीय आकार और बनावट व्यावहारिक नगर नियोजन का प्रतिनिधित्व करती है। जिसे ऐतिहासिक रूप से क्षेत्र के प्राकृतिक भूगोल में शामिल किया गया था और यह उनकी आधुनिक, शहरी बस्तियों के लिए महत्वपूर्ण है।

स्मार्ट सिटी की सूची में ग्वालियर

स्मार्ट सिटी मिशन एक स्थायी शहरी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पहल है। वहीं प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ओरछा लगभग 12,000 की आबादी के साथ और ग्वालियर लगभग 1,101981 की आबादी के साथ तेजी से जनसंख्या में वृद्धि कर रहा है। ऐसे में इन शहरों को आर्थिक परिवर्तन और शहरी विकास की जरूरत है। ग्वालियर रणनीतिक रूप से भारत में प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों और पर्यटन सर्किटों के करीब स्थित है और भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर इसे ‘स्मार्ट सिटी’ के रूप में नामित किया गया है। वहीं, मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक केंद्र पर बनी ग्वालियर की सांस्कृतिक पहचान शहर के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। लेकिन दुर्भाग्यवश कई स्मार्ट शहरों की शहरी विरासत को मूल्यवान इन शहरों को स्मार्ट सिटी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में एकीकृत नहीं किया गया है। इसलिए भारतीय संदर्भ के अंदर यूनेस्को स्थायी शहरी विकास के लिए विरासत आधारित योजना के अभ्यास को आगे बढ़ाना चाहता है।

यूनेस्को के मुताबिक, ग्वालियर और ओरछा दोनों के ऐतिहासिक केंद्रों ने धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ाया है। जिसने शहरों की आर्थिक उन्नति में काफी योगदान दिया है। यह तेजी से और अनियंत्रित शहरीकरण और निरंतर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों के साथ किया गया है।

यूनेस्को का कार्य

यूनेस्को दुनिया भर के उन स्थलों की पहचान करती है जिसे मानव द्वारा उत्कृष्ट मूल्यों का माना जाता है। इन स्थलों में मानव निर्मित इतिहास और प्राकृतिक दोनों तरह के स्थल या इमारतें शामिल होते हैं। यूनेस्को ऐसी ही सभी विश्व धरोहरों को प्रोत्साहन देने का कार्य करता है। इन धरोहरों को सूचीबद्ध कर अंतररष्ट्रीय संधियों और कानूनों के जरिए संरक्षण दिया जाता है।

यूनेस्को नई दिल्ली एचयूएल सिफारिश के दृष्टिकोण के जरिए वहां के स्थानीय कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और तकनीकी विशेषज्ञता की पेशकश करेगा। इस परियोजना के तहत बहु-स्तरीय जुड़ाव को भी शामिल किया जाएगा, जैसे शहरी स्थानीय निकाय, नागरिक प्राधिकरण और समुदाय में हितधारकों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी, जागरूकता और सांस्कृतिक विरासत संरक्षण, और सतत विकास के बीच संबंध विकसित करना होगा।

ये होगा खास…

वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्त्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का कैमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा।

इससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी। धरोहर तक पहुंचने वाले मार्ग को सुगम किया जाएगा।

गार्ड नियुक्त किए जाएंगे, जो सैलानियों के पहुंचते ही उनका भारतीय परंपरानुसार स्वागत करेंगे।

शहर में गंदगी का निशान नहीं मिलेगा। इससे शहर आने वाले सैलानियों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
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