2 July 2016
केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कोलकाता में कहा कि यह संभवतः भारतीय छात्र समुदाय के लिए सबसे अच्छा समय है और अब, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस अवसर का हम सबसे बेहतर कैसे बनाते हैं।
प्रतिष्ठित रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विश्वविद्यालय में अपने दीक्षांत भाषण में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ दशकों पहले तक विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों और विद्वानों को अपनी पहचान बनाने के लिए कठिन संघर्ष करना होता था। उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के मामले में, विलियम बटलर येट्स सहित कई विदेशी लेखक गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए आगे आए और फिर रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज भारतीय छात्रों और विद्वानों के विदेश जाने के शीघ्र बाद ही उनकी क्षमता और परिश्रम को देखते हुए उत्कृष्ट संस्थान उन्हें अपने साथ जोड़ लेते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ यही नहीं दुनिया भर की सर्वश्रेष्ठ सूचना प्रौदयोगिकी कंपनियां और प्रतिष्ठित आर्थिक मंच आज भारतीयों द्वारा चलाये जा रहे हैं।
आधुनिकता के साथ परंपरा के सम्मिश्रण के महत्व पर बल देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि रामकृष्ण मिशन द्वारा चलाए जा रहे विवेकानंद विश्वविद्यालय ने इसका सबसे उल्लेखनीय उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद के सिद्धांत गहराई के साथ भारत की अतीत विरासत में अंतर्निहित है और इसमें कई दशक आगे के भारत के भविष्य की भी परिकल्पना की गई है।
हालांकि, भारत के समक्ष आने वाली समकालीन चुनौतियों का सामना करने के लिए, डॉ जितेंद्र सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ क्षेत्रों पर फिर से विचार करने के सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि जैसे धर्म के बिना विज्ञान अधूरा है और विज्ञान के बिना धर्म अपर्याप्त है इसी तरह से, व्यावसायिक कौशल के बिना शिक्षा अपना उद्देश्य पूरा नहीं करती है और शिक्षा के बिना व्यावसायिक कौशल अपने इच्छित उद्देश्य में विफल रहता है।
पिछले दो वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ किए गये युवाओं से संबंधित और छात्र उन्मुख अनेक कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है, चाहे वह “स्टार्टअप भारत” हो या “डिजिटल इंडिया’’, इन सभी का उद्देश्य भारतीय युवाओं की संभावित क्षमता को जुटाना है ताकि वे दुनिया का नेतृत्व कर सकें।
इससे पूर्व, विश्वविद्यालय के कुलपति स्वामी आत्मप्रियनंद ने डॉ जितेंद्र सिंह का स्वागत करते हुए कहा है कि छात्र समुदाय उनके मूल विचारों को सुनने के लिए उत्सुक था और उन्होंने विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और डॉ. जितेन्द्र सिंह के बीच हुई शैक्षणिक वार्ता की भी सराहना की।
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