16 June 2016
शासित प्रदेशों के गृह मंत्रियों, मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) की बैठक की अध्यक्षता की। भारत की तटीय सुरक्षा की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई गई है।
श्री राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान देश के 7,516 किमी लंबे समुद्र तट के किनारे सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा की। मंत्री महोदय ने समुद्री मार्गों से संभावित बाहरी खतरों से न केवल औद्योगिक, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और सामरिक प्रतिष्ठानों, बल्किपूरे समुद्र तट की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकी हमले के बाद अनेक कदम उठाए गए हैं, जिनके तहत भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) को समुद्री सीमा में तटीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है, जिसमें तटीय पुलिस द्वारा गश्त लगाए जाने वाले क्षेत्र भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना तटीय सुरक्षा और अपतटीय सुरक्षा सहित समुद्री सुरक्षा के लिए समग्र रूप से जिम्मेदार है। भारतीय तटों की सुरक्षा राज्य समुद्री पुलिस, भारतीय तट रक्षक और भारतीय नौसेना की त्रि-स्तरीय प्रणाली द्वारा सुनिश्चित की जाती है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय तट रक्षक तटीय पुलिस थानों के कामकाज के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा तैयार इन मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को मान्यता देने के लिए साल में दो बार तटीय सुरक्षा अभ्यास का आयोजन करता है, जिसमें सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारक शामिल होते हैं और भारतीय तट रक्षक इसके साथ ही तटीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए इन एसओपी की घोषणा भी करता है। मंत्री महोदय ने कहा कि समुद्र तट की सुरक्षा भारतीय तट के आसपास लगाई गई स्थिर सेंसरों एवं स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) रिसीवर की श्रृंखला और 45 स्थानों पर भारतीय तट रक्षक द्वारा संचालित रडार के जरिए सुनिश्चित की जाती है, जबकि बगैर किसी चूक के समुद्र तट की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए 38 और रडार लगाने की योजना बनाई गई है। श्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय ने गैर-प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा के संबंध में तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि तटीय पुलिस के प्रशिक्षण के लिए गुजरात में राष्ट्रीय समुद्री पुलिस प्रशिक्षण संस्थान और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस प्रशिक्षण अकादमियों में राज्य समुद्री पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। अवैध आवाजाही पर नजर रखने के लिए मछली पकड़ने की नौकाओं के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया गया है और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर मछुआरों को संवेदनशील बनाने के लिए भारतीय तट रक्षक द्वारा समुदायों से बातचीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि इनकदमों को उठाए जाने से हमारे तटीय क्षेत्र अब ज्यादा सुरक्षित होंगे। तटीय सुरक्षा के सभी पहलुओं को ध्यान रखते हुए उनकी निगरानी और समन्वय तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए सरकार ने राज्य और जिला स्तर पर एक संस्थागत तंत्र तैयार किया है और साथ ही तटीय सुरक्षा की समीक्षा हेतु गृह मंत्रालय की संचालन समिति को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान की है।
श्री राजनाथ सिंह ने समुद्री आतंकवाद और उसके आर्थिक निहितार्थ के मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अगले पांच वर्षों में लागू होने वाली तटीय सुरक्षा योजना के तीसरे चरण के लिए तटीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से सुझाव भी मांगे।
गृह मंत्री ने कहा कि सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों और गृह मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों तथा भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और तटीय पुलिस के सक्रिय सहयोग से तटीय सुरक्षा में सुधार जारी रहेगा और हमारा समुद्र तटीय क्षेत्र पूरी तरह किसी भी खतरे से सुरक्षित हो जाएगा।
बैठक के दौरान सरकार द्वारा चलाई जाने वाली तटीय सुरक्षा योजना पर भी विचार किया गया। इसका उद्देश्य तटीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के तटीय क्षेत्रों में गश्त लगाने और निगरानी से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना है। इस योजना के तहत सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तटीय पुलिस स्टेशनों, चेक पोस्ट, चौकियों और पुलिस की नावों को बांधने के लिए घाटों के निर्माण हेतु सहायता प्रदान की जाती है। वर्तमान में, इस योजना के द्वितीय चरण का कार्य प्रगति पर है।
बैठक के दौरान तटीय सुरक्षा योजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन, तटीय सुरक्षा की समीक्षा हेतु राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में संस्था की स्थापना, राज्य समुद्री बोर्डों का गठन, गैर प्रमुख बंदरगाहों और एकल बिंदु घाट, तटीय मानचित्रण, द्वीपों की सुरक्षा, बॉयोमीट्रिक पहचान पत्र और कार्ड रीडर के वितरण, नावों के रंग की कोडिंग, मछलियों के उतरने की जगह और मछुआरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करने की निगरानी संबंधित सभी विषयों पर चर्चा की गई।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फणनवीस ने समुद्र , तट , बंदरगाह , महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय समुद्री सुरक्षा पुलिस बल के गठन का सुझाव दिया क्योंकि समुद्री पुलिस का कार्य विशेषज्ञता का कार्य होता है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि अवतरण ठिकानों तथा गैर प्रमुख बंदरगाहों को ई-निगरानी के तहत लाया जाना चाहिए। इन दोनों सुझावों का कुछ अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने समर्थन किया ।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में केंद्र तटीय पुलिस बल के गठन पर गंभीरता से विचार करेगा। इसके गठन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राय को ध्यान में रखा जाएगा। यह निर्णय भी लिया गया कि मछुआरों के समुद्र में जाने और वापस आने पर निगरानी रखने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक एकीकृत कंप्यूटरीकृत प्रणाली/ टेक्नोलॉजी आधारित ई-निगरानी व्यवस्था लागू की जाएगी। केंद्र सरकार इस दिशा में मदद देगी।
भारतीय तटरक्षक बल और तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मौके पर तटीय सुरक्षा और उनकी जरूरतों के साथ ही सुरक्षा को और अधिक मजबूती प्रदान करने के सुझाव और इस दिशा में किए गए प्रयासों के संदर्भ में जानकारी दी।
सीमा प्रबंधन, गृह मंत्रालय के विभाग द्वारा आयोजित इस बैठक में गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उप राज्यपाल ले. जनरल (सेवा निवृत्त) ए के सिंह , पुड्डुचेरी के राजस्व मंत्री श्री एमओएचएफ शाहजहां , कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर , गुजरात के गृह राज्य मंत्री श्री रजनीभाई पटेल , केंद्रीय गृह सचिव श्री राजीव महर्षी , आईएससीएस की सचिव श्रीमती नैनी जयसीलम , बीएम के सचिव श्री सुशील कुमार तथा महाराष्ट्र , गोवा और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव , आंध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल, और गुजरात के पुलिस महानिदेशक और गृह मंत्रालय, भाग लेने वाले मंत्रालयों तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य अधिकारी शामिल हुए।
courtesy