• Fri. Nov 22nd, 2024

(todayindia),Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today india
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सा गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंज़ूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सा गर्भपात अधिनियम, 1971 में संशोधन करने के लिए चिकित्‍सा गर्भपात (एमटीपी) (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंज़ूरी दी है। इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।

प्रस्तावित संशोधन की महत्वपूर्ण बातें:

गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए एक चिकित्सक की राय लेने की जरूरत का प्रस्ताव और गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए दो चिकित्सकों की राय लेना जरूरी होगा।
विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करना जिन्हें एमटीपी नियमों में संशोधन के जरिए परिभाषित किया जाएगा और इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य असुरक्षित महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी।
मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच में पाई गई शारीरिक भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड के संगठक, कार्य और अन्य विवरण कानून के नियमों के तहत निर्धारित किए जाएंगे।
जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है उनका नाम और अन्य जानकारियां उस वक्त कानून के तहत निर्धारित किसी खास व्यक्ति के अलावा किसी और के सामने नहीं किया जाएगा।
महिलाओं के लिए उपचारात्मक, सुजनन, मानवीय या सामाजिक आधार पर सुरक्षित और वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिए चिकित्‍सा गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2020 लाया जा रहा है। प्रस्तावित संशोधन में कुछ उप-धाराओं का स्थानापन्न करना, मौजूदा गर्भपात कानून, 1971 में निश्चित शर्तों के साथ गर्भपात के लिए गर्भावस्था की ऊपरी सीमा बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ धाराओं के तहत नए अनुच्छेद जोड़ना और सुरक्षित गर्भपात की सेवा एवं गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता किए बग़ैर कड़ी शर्तों के साथ समग्र गर्भपात देखभाल को पहले से और अधिक सख़्ती से लागू करना है।

यह महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है और इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दी गईं जिनमें भ्रूण संबंधि विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से अधिक गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई। जिन महिलाओं का गर्भपात जरूरी है उनके लिए गर्भावस्था की अवधि में प्रस्तावित बढ़ोतरी उनके आत्म-सम्मान, स्वायत्तता, गोपनीयता और इंसाफ को सुनिश्चित करेगी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने और चिकित्सा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न हितधारकों और मंत्रालयों के साथ वृहद विचार-विमर्श के बाद गर्भपात कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
(todayindia),Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today india
========
courtesy

aum

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *