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उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून-सीएए पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केन्द्र का पक्ष सुने बगैर नागरिकता संशोधन कानून पर रोक को मंजूरी नहीं दी जा सकती। शीर्ष न्यायालय ने केन्द्र सरकार से इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। न्यायालय ने कहा है कि इस मामले को सुनने के लिए वे एक बड़ी संविधान पीठ का गठन करेगा।
केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार को 143 याचिकाओं में से करीब 60 याचिकाओं की प्रतियां ही मिली हैं और उसे अपना जवाब दाखिल करने में समय की आवश्यकता है।
कुछ याचिकाओं में शीर्ष न्यायालय से इस कानून पर अमल को रोकने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की कार्यवाही कुछ समय तक टालने की मांग की गई है।
इस कानून में 31 दिसंबर 2014 या इससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये धर्म के आधार पर प्रताड़ना के शिकार हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन तथा पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को इस विधेयक को मंजूरी दी थी और तब से यह कानून बन गया है।(todayindia),Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood news,today india news,today india,mpnews,madhyapradesh news
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