राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली में एक समारोह में देश के 46 शिक्षकों को उनके असाधरण योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री धोत्रे संजय शामराव भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि चरित्र निर्माण की आधारशिला स्कूलों में रखीजाती है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक यह कार्य विद्यार्थियों में ईमानदारी और अनुशासन का महत्व बताकर करते हैं। इन मूल्यों वाला बेहतर इंसान प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा साबित होगा। शिक्षक विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनाकर राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में योगदान करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज विश्व सूचना के युग से ज्ञान के युग में बढ़ रहा है, लेकिन केवल ज्ञान से ही मानव सभ्यता की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। ज्ञान के साथ-साथ विवेक आवश्यक है। जब ज्ञान का विवेक के साथ मेल होगा तभी समस्यायें सुलझाई जा सकती हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इस वैश्विक र्स्पधी विश्व में हमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तथा मानव करूणा और डिजिटल विद्या और चरित्र निर्माण के बीच संतुलन बनाना होगा। केवल ऐसे विवेकसंगत ज्ञान के आधार पर ही हम जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और हिमनद के पिघलने जैसी वर्तमान चुनौतियों से निपट सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थयों को जल संरक्षण का महत्व बता कर जल संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से ज्ञान और विवेक से सम्पन्न नई पीढ़ी तैयार करने का आग्रह किया ताकि नई पीढ़ी सभी समकालीन चुनौतियों का सफल समाधान कर सके।
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शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का उद्देश्य देश के कुछ श्रेष्ठ शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को मान्यता देना तथा उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपने संकल्प और परिश्रम के माध्यम से नकेवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया बल्कि अपने विद्यार्थियों के जीवन को समृद्ध बनाया।
इस वर्ष स्व नामांकन प्रक्रिया के बाद जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्तरीय चयन प्रक्रिया पूरी की गई। स्वतंत्र राष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने 46 शिक्षकों के नाम की सिफारिश की। मानक के अनुसार ऐसे शिक्षकों का चयन किया जाना था जिन्होंने अपने कार्यमें नवाचार को दिखाया तथा स्कूल तथा विद्यार्थियों में मूल्यवर्धन किया। मनोनीत शिक्षकों ने स्वतंत्र निर्णायक मंडल के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ शिक्षाविद थे। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि निर्णायक मंडल के समक्ष सभी को अपने योगदान और कार्यों को प्रस्तुत करने का अवसर मिला। नई योजना की विशेषता पारदर्शिता ,निष्पक्षता तथा उत्कृष्टता और कार्य प्रदर्शन को पुरस्कृत करना है। पुरस्कार में एक रजत पदक, प्रमाण पत्र तथा 50 हजार रुपये की पुरस्कार राशि शामिल है।
नई योजना की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1 शिक्षकों से ऑनलाइन स्वनामांकन mhrd.gov.in पर आमंत्रित किए गए। वेबपोर्टल को भारत के प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज (ASCI) द्वारा विकसित किया गया था और संपूर्ण सॉफ्टवेयर सुचारू रूप से चला।
2 देशभर के शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किए गए।
3 सभी नियमित शिक्षक इस पुरस्कार के पात्र थे और न्यूनतम सेवा की कोईआवश्यकता नहीं थी। इससे मेधावी युवा शिक्षक आवेदन करने में सक्षम हुए।
4 पुरस्कारों की संख्या को अधिकतम 47 कियागया, जिससे पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बहाल हुई।
5 अंतिम चयन में किसी भी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या संगठन का कोटा नहीं था। इससेशिक्षकों को पुरस्कारों के लिए स्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
राष्ट्रीयस्तर पर स्वतंत्र निर्णायक मंडल ने अंतिम चयन किया। निर्णायक मंडल ने सभी राज्यों, केन्द शासितप्रदेशों तथा संगठनों द्वारा अग्रसारित उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की।प्रत्येक मनोनीत शिक्षक ने निर्णायक मंडल के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया, जिससे अंतिम मूल्यांकन किया गयाऔरइसवर्ष के शिक्षक पुरस्कारों के लिए 46 नामों की सिफारिश की गई।
इस अवसरपर स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभागकी सचिव श्रीमती रीना रे, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री आर सुब्रमण्यम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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