भारत की तरफ से विंडीज के खिलाफ जून 2017 में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले युवराज(Yuvraj Singh) ने सोमवार को मुंबई में संन्यास की घोषणा की। अपने 17 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान वे 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 में एकदिवसीय विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे।(Yuvraj Singh)बीते दो सालों में युवी ने भारत के लिए किसी भी फॉर्मेट में क्रिकेट नहीं खेला था। युवराज(Yuvraj Singh) ने 2014 के टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 21 गेंदों में 11 रन बनाने को अपना सबसे खराब प्रदर्शन बताया। फाइनल में भारत की हार से फैंस ने युवराज सिंह(Yuvraj Singh) के चंडीगढ़ स्थित घर पर पत्थर तक फेंके थे।
युवी ने कहा, ‘2014 में टी-20 फाइनल मेरे जीवन का सबसे खराब मैच था। तब मैंने सोच लिया था कि मेरा क्रिकेट करियर खत्म हो गया है तब मैं थोड़ा रुका और सोचा कि क्रिकेट खेलना शुरू क्यों किया था। फिर मैं वापस घरेलू क्रिकेट में गया और बहुत मेहनत की। फिर मैंने तीन साल बाद वनडे क्रिकेट में वापसी की क्योंकि मैंने कभी खुद में विश्वास करना नहीं छोड़ा’।(Yuvraj Singh)
इस दौरान युवराज (Yuvraj Singh) ने अपने माता-पिता और पत्नी के साथ-साथ क्रिकेट के मैदान से जुड़े कई लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने सौरव गांगुली की कप्तानी में खेलना शुरू किया। फिर मैंने राहुल द्रविड़, जवगल श्रीनाथ जैसे क्रिकेटर्स के साथ खेला। आशीष नेहरा, भज्जी जैसे दोस्त मिले। धोनी जैसे कप्तान और गैरी जैसे सबसे नायाब कोच के साथ मुझे खेलने का मौका मिला।'(Yuvraj Singh)
उन्होंने कहा, ‘मेरे करियर का सबसे बड़ा लम्हा 2011 वर्ल्ड कप जीतना था। जब मैंने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाए थे, तब वह करियर का बड़ा मोड़ था। इसके बाद कई मैच में फेल हुआ, लेकिन बार-बार मौके मिले। मैंने कभी 10 हजार रन बनाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन वर्ल्ड कप जीतना खास था। मैन ऑफ द सीरीज रहना, 10 हजार रन बनाना, इससे ज्यादा खास था वर्ल्ड कप जीतना। यह केवल मेरा नहीं, बल्कि पूरी टीम का सपना था।'(Yuvraj Singh)(todayindia)
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