बंबई उच्च न्यायालय ने शक्ति मिल्स सामूहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की उस संशोधित धारा की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी, जिसमें बार-बार यह अपराध करने वालों को मौत की सजा देने का प्रावधान है।
न्यायमूर्ति बी. पी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने इस मामले के तीन दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इन तीनों ने भारतीय दंड संहिता की उस धारा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी जिसके तहत उन्हें 2014 में मौत की सजा सुनाई गई थी।
भारतीय दंड सहिता की धारा 376 (ई) में संशोधन के तहत बार-बार इस प्रकार के अपराध करने वाले दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। दिल्ली में 2012 में निर्भया कांड के बाद यह संशोधन हुआ था।
अदालत ने कहा कि यह धारा संविधान के दायरे से बाहर नहीं है इसलिए मौजूदा मामले में उसे खारिज नहीं किया जा सकता।
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