उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा है कि किसी न्यायाधीश की प्रतिष्ठा ही उसकी एकमात्र सम्पत्ति होती है। वे आज उच्चतम न्यायालय की विशेष सुनवाई में स्वयं पर एक महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले की न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के साथ सुनवाई कर रहे थे। यौन उत्पीड़न के आरोपों को अविश्वसनीय बताते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि इसके पीछे बड़ा षड्यंत्र है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला ऐसे समय आया है जब देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं और अगले सप्ताह उनकी अध्यक्षता में न्यायालय की एक पीठ कई संवेदनशील मुद्दों पर विचार करने वाली है। उन्होंने इस मामले का फैसला न्यायमूर्ति अरूण मिश्र पर छोड़ दिया। न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा कि इस मामले पर पीठ फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं कर रही है और यह बात मीडिया के विवेक पर छोड़ रही है कि वह उनसे की जाने वाली अपेक्षाओं के अनुसार संयम बरते और जिम्मेदारी से कार्य करे।
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