भारतीय रेलवे में ई-मोबिलिटी पर सम्मेलन का समापन महत्वपूर्ण सुझावों के साथ हुआ
04 SEP 2018
‘भारतीय रेलवे में ई-मोबिलिटी’ पर आयोजित किए गए एक सम्मेलन का समापन आज यहां हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन रेल विद्युत अभियंता संस्थान (आईआरईई) के जरिए रेल मंत्रालय द्वारा नीति आयोग से सहयोग से किया गया।
इस एक दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रेल राज्य मंत्री श्री मनोज सिन्हा ने किया। यह 7 एवं 8 सितंबर, 2018 को नीति आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘मूव : ग्लोबल मोबिलिटी समिट’ से पहले आयोजित किया गया सम्मेलन था। नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी, रेलवे बोर्ड के सदस्य (कर्षण) एवं आईआरईई के संरक्षक श्री घनश्याम सिंह, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य, रेलवे बोर्ड की अतिरिक्त सदस्य (विद्युत) एवं आईआरईई की प्रेसीडेंट सुश्री मंजू गुप्ता और अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि रेल मंत्रालय ने विद्युतीकरण की गति तेज करने और आरई परियोजनाओं के लिए निविदा के ईपीसी मोड को अपनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि रेलवे लाइनों के प्रस्तावित विद्युतीकरण के बाद ईंधन बिल में सालाना 13,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है और इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 3.4 मिलियन टन की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा खरीद में की गई पहलों के परिणामस्वरूप वास्तविक बचत अब तक 7504 करोड़ रुपये की हो चुकी है जो ‘मिशन 41के’ में परिकल्पित राशि से कहीं ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे को अपना सौर ऊर्जा लक्ष्य बढ़ाना चाहिए तथा उसे देश में इस क्षेत्र में अगुवाई करनी है तथा इसके साथ ही उसे माननीय प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा’ विजन के अनुरूप भी आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे को एथनॉल को मिश्रित करने के विकल्प पर विचार करना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सेमिनार में ऐसे अभिनव विचार एवं पहल उभर कर सामने आएंगी जो भारतीय रेलवे को परिवहन का और ज्यादा कार्यकुशल, पसंदीदा एवं हरित साधन बना देंगी तथा इनकी बदौलत भारतीय रेलवे देश की आर्थिक तरक्की में विकास इंजन की भूमिका निभाने लगेगी।
श्री अमिताभ कांत ने कहा कि देश में बढ़ते शहरीकरण के साथ ही हमें स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित ई-मोबिलिटी पर और ज्यादा ध्यान देना चाहिए, ताकि लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि सौर व्यापक रोजगार अवसरों की क्षमता रखना वाला एक नवोदित विकासशील उद्योग है और भारतीय रेलवे को देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए एक विकास इंजन बन जाना चाहिए, इस क्षेत्र में उसे वैश्विक अवसर हासिल करने चाहिए तथा इसके साथ ही उसे अन्य राष्ट्रों के लिए एक मॉडल के रूप में उभर कर सामने आना चाहिए। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्पों को और आगे ले जाने के लिए ऊर्जा भंडारण की तकनीक के क्षेत्र में और भी ज्यादा अनुसंधान करने की जरूरत पर बल दिया। श्री अमिताभ कांत ने कहा कि भारतीय रेलवे को सौर प्रौद्योगिकी में प्रतिस्पर्धी मूल्य से लाभ उठाना चाहिए और सौर ऊर्जा के उत्पादन को अधिकतम स्तर पर ले जाना चाहिए।
श्री अश्विनी लोहानी ने कहा कि भारतीय रेलवे को कार्यकलाप के क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ानी चाहिए और इसके साथ ही एक उत्कृष्ट सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में तब्दील हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण की पहचान भारतीय रेलवे के व्यय में कमी लाने के एक प्रमुख संभावित क्षेत्र के रूप में की गई है। उन्होंने परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच यातायात की निर्बाध आवाजाही, राजस्व को साझा करने में सुगमता सुनिश्चित करने, मालगाडि़यों की गति बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
रेल मंत्रालय, केन्द्रीय मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों के लगभग 300 प्रतिनिधियों और उद्योग भागीदारी ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया।