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27 AUG 2018
केन्‍द्रीय वाणिज्‍य और उद्योग तथा नागर विमानन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने आज विभिन्‍न निर्यात साझेदारों और वाणिज्‍य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें भारत के निर्यात में नई जान डालने और उसे 2025 तक दोगुना करने की रणनीति पर विचार किया गया। श्री प्रभु ने कहा कि वैश्‍विक व्‍यापार में अनिश्‍चितता, बैंकों का कठोर दृष्‍टिकोण जिसके कारण ऋण की उपलब्‍धता प्रभावित हो रही है, प्रचालन तंत्र के अधिक खर्च और उत्‍पादक मानकों और गुणवत्‍ताओं जैसी चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए यह आवश्‍यक हो गया है। निर्यात नौकरियां सृजित करता है, विदेशी मुद्रा लाता है और अंतर्रार्ष्‍टीय स्‍तर पर भारत की प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता को मान्‍यता प्रदान करता है। वाणिज्‍य राज्‍य मंत्री सी.आर. चौधरी इस मिशन के अध्‍यक्ष होंगे और विभिन्‍न निर्यात संवर्द्धन परिषदों और वाणिज्‍य मंत्रालय के डिवीजनों के कार्य की नियमित समीक्षा करेंगे।

वाणिज्‍य मंत्री की क्षेत्रीय निर्यात रणनीतियां तैयार करने के लिए प्रमुख मंत्रालयों के साथ दो बैठकें हो चुकी हैं, जिन्‍हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। भारतीय निर्यात संगठन संघ (एफआईईओ) ने परंपरागत, नये बाजार और उत्‍पादों में 100 अरब के निर्यात की पहचान का अध्‍ययन किया है। एक्‍जिम ने बाजार तलाश किया है और निर्यात रणनीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है।

भारत ने डब्‍ल्‍यूटीओ के टीएफए (व्‍यापार सरल बनाने संबंधी समझौते) को अप्रैल, 2016 में स्‍वीकृत कर लिया और व्‍यापार की अड़चनों को दूर करने के लिए एक विशेष कार्य योजना तैयार की। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और आईटी पहलों डीजीएफटी तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र के जरिए पारदर्शिता लाने के लिए इन्‍हें कस्‍टम आइसगेट से ऑनलाइन जोड़ा गया है तथा निर्यात और आयात के लिए आवश्‍यक अनिवार्य दस्‍तावेजों को कम करके तीन-तीन कर दिया गया है। आयात-निर्यात कोड (आईईसी) को पैन से जोडा गया है और पूरी तरह से जोड़ने के लिए जीएसटीएन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। त्‍वरित टैक्‍स रिफंडों के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (ईबीआरसी) प्रणाली को 14 राज्‍य सरकारों के साथ साझा किया गया है और ईबीआरसी को जीएसटीएन से जोड़ने के लिए जीएसटी नेटवर्क के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। राज्‍य सरकारों को डीजीसीआईऔरएस निर्यात आंकड़ों तक पहुंच प्रदान की गई है।

पहचाने गए 12 सर्वोत्‍तम सेवा क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने और उनकी संभावनाओं को पहचानने पर विशेष ध्‍यान देने के लिए वाणिज्‍य विभाग के एक प्रस्‍ताव को केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल मंजूरी दे चुका है। श्री प्रभु ने आईटी-आईटीई की वर्तमान प्रबलता के स्‍थान पर व्‍यापक आधार वाली वृद्धि हासिल करने के लिए सेवा क्षेत्र के लिए विशेष रणनीति तैयार करने, भौगोलिक क्षेत्र में सेवाओं का विविध निर्यात नया ढांचा तैयार करने के लिए राज्‍यों को जागरूक करने, सेवा क्षेत्र के लिए नीति और कार्य योजनाएं बनाने तथा भारत को सेवाओं का केन्‍द्र बनाने को बढ़ावा देने पर जोर दिया। साझेदारों की टिप्‍पणियों को शामिल करने के बाद कृषि निर्यात नीति अंतिम रूप लेने की प्रक्रिया में है।

रत्‍न और आभूषण, चमड़ा, वस्‍त्र और सिले-सिलाए कपड़े इंजीनियरिंग क्षेत्र, इलेक्‍ट्रॉनिक्स, रसायन एवं पेट्रो रसायन, फार्मा, कृषि और सहायत उत्‍पाद और समुद्री उत्‍पाद जैसे मदों के लिए जिन्‍स और क्षेत्र विशेष वाली रणनीति तैयार की जा रही है। क्षेत्र विशिष्‍ट रणनीति में उत्‍तर अमेरिकी मुक्‍त व्‍यापार समझौता (एनएएफटीए), यूरोप, उत्‍तर-पूर्व एशिया, आसियान, दक्षिण एशिया, लातिन अमेरिका, अफ्रीका और डब्‍ल्‍यूएएनए, ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड और सीआईएस शामिल होंगे।

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि परंपरागत बाजारों के अलावा भारत को छोटे देशों के साथ व्‍यापार बढ़ाने की तरफ ध्‍यान देना चाहिए और अफ्रीका जैसे देशों के नये क्षेत्रों का पता लगाना चाहिए, जिसका भारत से निर्यात केवल 8 प्रतिशत है। श्री प्रभु ने निर्यातकों से जोर देकर कहा कि वे चीन के उपभोक्‍ता बाजार द्वारा प्रस्‍तुत अवसर को नहीं गंवाए और नवम्‍बर, 2018 में चीन में होने वाले विश्‍व एक्‍सपो से अधिकांश आयात करें।

aum

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