30/07/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि आरंभ से ही चीन की वैश्विक विस्तार की फितरतें, साम्राज्यवादी मानसिकता भारत के लिये चिन्ता का विषय रही हैं, इसलिये भारत का संदेही बना रहना स्वाभाविक है। डोकलाम पर भारतीय फौज के डटे रहने से ही दुनिया में भारत की नई पहचान बनी है। यह विदेश नीति में बदलाव अप्रत्याशित है। यह श्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय अखण्डता की प्रतिबद्धता का सबूत है। चीन को भारत को साफ्ट टारगेट समझने की भूल में सुधार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद के निवारण की आड़ में अब तक डेढ़ दर्जन बैठकें की जबकि सीमा विवाद का समाधान नहीं हो सका है। भूटान सीमा पर भारत ने भूटान से सैन्य सुरक्षा के अनुबंध की खातिर डोकलाम में मोर्चा संभाला है। चीन इस स्थान को अपना बता रहा है जबकि डोकलाम क्षेत्र भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने का गलियारा है। इसलिये देश की सुरक्षा हित में भारत की चिंता और प्रतिबद्धता स्वाभाविक है। चीन इस स्थान पर सड़क बनाकर भारत और भूटान के सामने चुनौती खड़ा कर रहा है। चीन का यह कथन कि भारत डोकलाम से सैनिक हटा ले अन्यथा युद्ध अवश्य भावी होगा। लेकिन भारत ने साहसपूर्वक मोर्चा संभाल कर चीन की चुनौती का अहसास करा दिया है। रक्षा मंत्री श्री अरूण जेटली ने बता दिया है कि अब भारत 2017 के माहौल में है, चीन 1962 को भूल जाये।
डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि भारत की सैन्य तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उन्हें हर प्रकार की स्वायत्ता देकर भारत सरकार ने सेना का मनोबल बुलंद कर दिया है। चीन के आर्थिक हित युद्ध की वर्जना का संकेत देते हैं। चीन को भरोसा पैदा करने की आवश्यकता है, क्योंकि चीन ने अपनी फितरतों और करतूतों से दुनिया का चीन के प्रति भरोसा डिगा दिया है।