संसद ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए महिला आरक्षण विधेयक पारित किया
mahilaarakshanvidheyak,narishaktivandanvidheyakसंसद ने 128 वां संविधान संशोधन विधेयक 2023 पारित कर दिया है। यह विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान करता है। इस विधेयक को नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा गया है। 214 सदस्यों ने इस विधेयक के समर्थन में वोट किया जबकि किसी भी सदस्य ने इसके विरोध में मतदान नहीं किया। मतदान के बाद राज्यसभा ने कल इसे स्वीकृति दे दी। लोकसभा पहले ही इस विधेयक को स्वीकृति दे चुकी है।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर एक सकारात्मक चर्चा हुई और संसद के दोनों सदनों के कुल 132 सदस्यों ने इस चर्चा में भागीदारी की। उन्होंने इस विधेयक को अपना समर्थन देने के लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विधेयक देश के लोगों में एक नए विश्वास को बढ़ावा देगा। यह विधेयक सभी राजनीतिक पार्टियों की सकारात्मक सोच को भी दर्शाता है, जो महिला सशक्तिकरण को एक नई ऊर्जा देगा।
राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर लम्बी बहस का उत्तर देते हुए केन्द्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के 72 सदस्यों ने इस चर्चा में हिस्सा लिया और वे इस विधेयक के समर्थन में बोले। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने हमेशा देश की परंपराओं को बढावा देने में योगदान किया है। श्री मेघवाल ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने और इसके कार्यान्वित होने पर देश महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में विकसित देशों की कतार में आगे बढेगा।
श्री मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि यह भारत को अमृत काल में विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री मेघवाल ने महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाएं लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी मौजूदा सीटों के अंतर्गत 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा और इसके लिए जनगणना और परिसीमन आवश्यक है।
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक को लाना महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विधेयक लोकसभा और राज्यों की सभी विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि इन श्रेणियों की आरक्षित सीटों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी आरक्षण होगा। सुश्री सीतारमण ने कहा कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि यह आरक्षण तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि लोकसभा या किसी विशेष राज्य की विधानसभा या दिल्ली की विधानसभा भंग नहीं हो जाती।
भाजपा नेता जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहती लेकिन इसका लक्ष्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई फैसले लिए हैं।
विधेयक का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए। हालांकि, उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में लाने में देरी पर सवाल उठाया।
डीएमके की डॉ. कनिमोझी सोमू ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं पर कोई उपकार नहीं बल्कि अधिकार का मामला है।
आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने भी विधेयक के पक्ष में बोलते हुए कहा कि यह कानून समाज और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत राष्ट्र समिति के डॉ. के केशव राव ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसे एक ऐतिहासिक विधेयक बताया।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी. विजयसाई रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन दे रही है। उन्होंने राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों में भी महिला आरक्षण प्रदान किए जाने की मांग की।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की कि महिला आरक्षण विधेयक में ओ.बी.सी. कोटा को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से यह भी जानना चाहा कि यह अधिनियम कब प्रभावी होगा।
चर्चा में भाग लेने वालों में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, भाजपा की सरोज पांडे, समाजवादी पार्टी की जया बच्चन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की महुआ माझी और बीजू जनता दल की सुलता देव शामिल हैं। इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।
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संसद ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए महिला आरक्षण विधेयक पारित किया
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