10/07/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि विद्यालयों के संचालकों द्वारा की जाने वाली मनमानी से प्रदेश के अध्ययनशील छात्रों और उनके अभिभावकों के शोषण से जल्दी ही राहत मिलने जा रही है। फीस के नियमन के लिए वैधानिक तैयारी की जा रही है। फीस रेगुलेशन एक्ट बनाया जा रहा है जो अभिभावकों का सुरक्षा कवच बनेगा। स्कूल प्रबंधन की निरंकुशता पर इस संवैधानिक कार्यवाही से लगाम लगेगी। डोनेशन या एक्स्ट्रा चार्जेज का सिलसिला समाप्त हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि नए संशोधन के फलस्वरूप अब शैक्षणिक संस्थान को हर वर्ष अपने लेखा आडिट करना पड़ेगा। रिटर्न सार्वजनिक करना होगा। इसी तरह विद्यालय के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम की फीस का अलग अलग निर्धारण किया जाना आवश्यक हो जायेगा। वर्तमान व्यवस्था में फीस के निर्धारण के नियमन का कोई कानून नहीं है। राज्य में कालेजों में भी फीस निर्धारण के लिए ऐसी व्यवस्था पहले की जा चुकी है। नया प्रावधान आते ही विद्यालयों में फीस वसूली के नाम पर अभिभावकों के आर्थिक शोषण पर रोक लग जायेगी। इस संबंध में लंबे समय से मांग की जाती रही है।
श्री शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था में अधिकतम 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की अनुमति दी जा सकती है। यदि इससे अधिक फीस में इजाफा किया गया तो प्रबंधन दंड का भागी होगा और 3 लाख रूपए तक आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था में प्रावधान किया जा रहा है कि यदि संस्था 15 हजार रूपए वार्षिक शुल्क लेता है तो उसकी यह पात्रता बरकरार रहेगी, लेकिन उसे प्रवेश शुल्क के नाम पर लूट की आजादी नहीं मिलेगी। मौजूदा समय में संस्थाएं प्रवेश शुल्क के नाम पर भी प्रभार वसूलती है और तमाम प्रभार भी जोड़कर अभिभाषकों की जेब हल्का कर रही है। इस पर रोक लगेगी और अभिभावकों को सुकून मिलेगा।