प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा – 21वीं सदी का भारत जलवायु और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ रहा है
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गरीब और विकासशील देश कुछ विकसित देशों की गलत नीतियों की कीमत चुका रहे हैं और भारत ऐसे विकसित देशों के साथ जलवायु न्याय के विषय को मजबूती से उठाता रहा है। श्री मोदी ने आज नई दिल्ली में विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम में एक वीडियो संदेश में यह बात कही। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्नत देशों के विकास का मॉडल लंबे समय तक विरोधाभासी रहा है और इसी मॉडल के अंतर्गत इन देशों की सोच पर्यावरण संरक्षण से पहले स्वयं का विकास करने की रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि इस मॉडल के कारण विकसित देश अपने विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में सफल तो हुए लेकिन दुनिया के पर्यावरण को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि दशकों तक विकसित देशों के इस तरीके पर किसी को आपत्ति नहीं थी लेकिन अब भारत ने इन सभी देशों के साथ जलवायु न्याय का प्रश्न उठाना शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने विकास के लिए किसी अन्य क्षेत्र की तरह ही बड़े पैमाने पर पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सरकार ने पिछले नौ वर्षों में हरित और स्वच्छ ऊर्जा पर बल दिया है। 21वीं सदी में भारत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इस दौरान हरित हाइड्रोजन मिशन, प्राकृतिक खेती और हरित अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने सहित अन्य पहलों का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, एक तरफ जहां भारत ने अपने 4जी और 5जी नेटवर्क का विस्तार किया है, वहीं देश ने अपने वन क्षेत्र को भी बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा कि भारत ने जहां गरीबों के लिए 4 करोड़ आवास बनाये वहीं देश में वन्यजीव अभयारण्यों के साथ-साथ वन्यजीवों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान जल जीवन मिशन और जल सुरक्षा के लिए 50 हजार अमृत सरोवर के निर्माण, भारत के दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और अक्षय ऊर्जा में शीर्ष 5 देशों में शामिल होने, कृषि निर्यात बढ़ने का भी उल्लेख किया।
मिशन लाइफ यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली के जन आंदोलन बनने के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मिशन, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जीवन शैली में बदलाव के बारे में नई चेतना फैला रहा है।
कार्यक्रम के दौरान, अमृत धारोहर कार्यान्वयन रणनीति और तटीय क्षेत्रों और मूर्त आय के लिए सदाबहार वन रोपण पहल (मिष्टी) का शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत धरोहर योजना जनभागीदारी से इन रामसर स्थलों का संरक्षण सुनिश्चित करेगी। मिष्टी योजना देश के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और उसकी रक्षा करने में मदद करेगी।
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि धरती पर रहने के लिए पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बाघ, शेर और चीता जैसी बड़ी बिल्लियों के संरक्षण और सुरक्षा के साथ-साथ उनके जैव विविधता क्षेत्रों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस की शुरुआत की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा – 21वीं सदी का भारत जलवायु और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ रहा है
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